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उस्मान ख्वाजा के खिलाफ आईसीसी ने लिया बड़ा एक्शन, लगाई जमकर फटकार

आईसीसी ने ऑस्ट्रेलिया के बाए हाथ के बल्लेबाज उस्मान ख्वाजा के खिलाफ एक्शन लेते हुए फटकार लगाई है. उस्मान ख्वाजा ने पाकिस्तान के खिलाफ मैच में फलस्तीन के समर्थन में काली पट्टी बांधी थी और जूतो पर एक विशेष संदेश लिखा था. पढें पूरी खबर..

By IANS

Published : Dec 21, 2023, 7:10 PM IST

Usman khawaja
उस्मान ख्वाजा

दुबई: ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर उस्मान ख्वाजा को पहले टेस्ट के दौरान आर्मबैंड पहनने के विरोध पर अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने फटकार लगाई है. सलामी बल्लेबाज उस्मान ख्वाजा ने पर्थ में ऑस्ट्रेलिया की 360 रन की जीत के दौरान काली पट्टी पहनी थी. इससे पहले आईसीसी ने उनके जूतों पर प्रतिबंध लगाया था.

36 वर्षीय खिलाड़ी ने अपने जूतों पर 'स्वतंत्रता एक मानव अधिकार है' और 'सभी का जीवन समान है' जैसे मैसेज लिखे थे. हालांकि राजनीति, धर्म या नस्ल से संबंधित व्यक्तिगत संदेशों के प्रदर्शन पर रोक लगाने वाले नियमों का हवाला देते हुए आईसीसी ने उन्हें चेतावनी दी कि अगर उन्होंने मैच के दौरान ये जूते पहने तो उन्हें प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा.

इसके बाद मैच के दौरान उनके जूतों पर संदेश टेप से ढके हुए थे लेकिन ख्वाजा ने अपने बाएं हाथ के चारों ओर एक काली पट्टी पहनकर एक बयान दिया. इस कदम के परिणामस्वरूप नियम के पहले उल्लंघन के लिए आईसीसी से फटकार लगाई गई है. आईसीसी के एक प्रवक्ता ने कहा, 'उस्मान ख्वाजा पर कपड़े और उपकरण नियमों के खंड एफ का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है, जिसे आईसीसी प्लेइंग कंडीशंस पेज पर पाया जा सकता है. नियमों के उल्लंघन के लिए प्रतिबंधों को परिशिष्ट 2 में बताया गया है.

ख्वाजा के विरोध की जड़ें व्यापक संदर्भ में थीं. जिसमें उन्होंने आईसीसी के हस्तक्षेप की आलोचना की और मानवीय अपील के संदेश जारी रखने की प्रतिबद्धता व्यक्त की. क्रिकेटर ने पहले सोशल मीडिया पर एक भावपूर्ण दलील दी थी, जिसमें उन लोगों के लिए बोलने के अपने अधिकार का बचाव किया गया था जिन्हें अपनी बात रखने का मौका नहीं मिल रहा और सभी जीवन की समानता पर जोर दिया गया था.

इस तीखी नोख झोंक ने एमसीजी में आगामी बॉक्सिंग डे टेस्ट के दौरान संभावित आतिशबाजी के लिए मंच तैयार कर दिया है. अब सबके मन में सवाल यह है कि क्या ख्वाजा को अपने काले आर्मबैंड विरोध को जारी रखना चाहिए. व्यक्तिगत संदेशों पर आईसीसी के नियम राजनीतिक, धार्मिक या नस्लीय कारणों पर विचार करने पर जोर देते हैं और प्रत्येक मामले का मूल्यांकन उसकी विशिष्ट परिस्थितियों के आधार पर किया जाता है.

आईसीसी के रुख से बेपरवाह ख्वाजा ने लड़ने और अपने संदेशों के लिए मंजूरी लेने की कसम खाई है. यह विवाद न केवल व्यक्तिगत अभिव्यक्ति और आईसीसी नियमों के बीच संतुलन पर सवाल उठाता है बल्कि सामाजिक और राजनीतिक चिंताओं को दूर करने के लिए खेल को एक मंच के रूप में उपयोग करने के व्यापक मुद्दे पर भी प्रकाश डालता है.

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