कोलकाता: जो भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के कामकाज को जानता है, उन्हें यह भी पता होगा कि बोर्ड के सचिव के तौर पर निरंजन शाह (Niranjan Shah) ने दशकों तक कैसे काम किया है. 1965-66 में प्रथम श्रेणी क्रिकेटर के रूप में शुरुआत करते हुए उन्होंने 1972 में सौराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन (एससीए) के सचिव का पद संभाला. सौराष्ट्र क्रिकेट का हिस्सा रहने के अलावा शाह सचिव और उपाध्यक्ष के रूप में बीसीसीआई से भी जुड़े रहे. निरंजन शाह आईपीएल के उपाध्यक्ष भी रहे.
सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई के नए संविधान की मंजूरी दे दी है. इसके तहत कार्यकाल और कूलिंग ऑफ पीरियड के नियमों में बदलाव देखने को मिलेगा. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) की पहली वार्षिक आम बैठक (AGM) 18 अक्टूबर को मुंबई में होने वाली है. इससे पहले ईटीवी भारत ने बुधवार को पूर्व सचिव निरंजन शाह के साथ एक विशेष बातचीत की.
सवाल: आप सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले को कैसे लेते हैं जिसमें आप लोग चाहते थे कि कुछ ढील दी जाए?
जवाब: अदालत के फैसले ने मौजूदा पदाधिकारियों के लिए एक और कार्यकाल का मौका दे दिया है. अन्यथा, वे कूलिंग ऑफ पीरियड के कारण एक कार्यकाल पूरा करके पद छोड़ देते. इसलिए यह अच्छा है कि मामलों को चलाने में निरंतरता बनी रहेगी.
सवाल: क्या अदालत के फैसले से आपकी पीढ़ी के क्रिकेट प्रशासकों को मदद मिलेगी?
जवाब: यह फैसला अब हमारे लिए किसी तरह उपयोगी नहीं है क्योंकि 11 साल की सीमा है और हम में से कई लोग इसे पूरा कर चुके हैं या पूरा करने वाले हैं. लेकिन हम इससे खुश हैं.
सवाल: क्या आप बोर्ड के कामकाज से जुड़े रहेंगे?
जवाब: यह नए पदाधिकारियों पर निर्भर करता है कि वे बोर्ड के मामलों को चलाने में हमारी सेवाएं चाहते हैं या नहीं. अगर वे हमारी सेवाएं चाहते हैं, तो हम निश्चित रूप से अपना योगदान देंगे.
सवाल: जब पदाधिकारियों को चुनने की बात आती है तो क्या बोर्ड पर कोई राजनीतिक दबाव होता है?
जवाब: हम पर कोई राजनीतिक दबाव नहीं है. बोर्ड लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत चलता है और सभी संघ भी लोकतांत्रिक तरीके से चलते हैं.