मोतिहारी : बिहार रणजी टीम के लिए अपने डेब्यू मैच में साकिबुल गनी (Sakibul Gani) ने मिजोरम के खिलाफ तीहरा शतक लगाकर चर्चा में भले आ गए हैं, लेकिन इनका लक्ष्य भारतीय क्रिकेट टीम में प्रवेश करना है. गनी आज दिनभर अपने भाई और गुरु फैसल गनी के साथ क्रिकेट मैदान में पसीना बहा रहे हैं. उन्होंने कहा कि उनका पहला लक्ष्य अगले साल आईपीएल खेलना है.
341 रन ठोक बनाया विश्व रिकॉर्ड: बिहार के मोतिहारी जिला के रहने वाले साकिबुल फर्स्ट क्लास क्रिकेट मैच की एक पारी में रिकॉर्ड 341 रन बनाकर क्रिकेट की दुनिया में चर्चित हो गए, लेकिन उनकी राहें आसान नहीं हैं. इसके लिए उन्हें महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने भी बधाई दी थी. आज भी साकिबुल को सुविधा के नाम पर वे चीजें नहीं हैं, जो अन्य राज्यों के उदीयमान खिलाड़ियों को उपलब्ध होती हैं. वैसे, कहा जाए तो उन्हें खिलाड़ी बनने के लिए प्रारंभ से ही संघर्ष का रास्ता चुनना पड़ा है.
साकिबुल की मेहनत पर परिवार को गर्व: हेमन ट्रॉफी (Hayman Trophy) में बिहार का प्रतिनिधित्व कर रहे साकिबुल कहते हैं कि आज के प्रतिस्पर्धी क्रिकेट में, हमें मैदान के चारों ओर शॉट खेलने और स्थिति के अनुसार क्षमता दिखाने की आवश्यकता है, इसलिए काफी मेहनत करनी पड़ती है. गनी इस बात को स्वीकार करते हैं कि क्रिकेट के लिए अब परिवार का पूरा सहयोग मिल रहा है. साकिबुल गनी ने कहा, 'एक अच्छे बैट की कीमत 30 से 35 हजार रुपये है. एक मध्यम वर्गीय परिवार के लिए इसे खरीद पाना एक सपने जैसा था, लेकिन मां-पिताजी ने पैसे को कभी क्रिकेट में बाधा नहीं बनने दिया. जब भी आर्थिक समस्या आती तो मां अपना गहना तक गिरवी रख देती थी.'
मां ने जेवर गिरवी रखकर बेटे के लिए खरीदा था बैट: साकिबुल गनी जब रणजी ट्रॉफी खेलने जा रहे थे, तब मां ने उन्हें तीन बैट दिए थे. साकिबुल को इसका गुमान जरूर है कि वह छह भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं, जिस कारण सबका प्यार मिलता है. गनी की मां अज्मा खातून को बेटे को रणजी ट्रॉफी के लिए चुने जाने के बाद तीन क्रिकेट बैट खरीदने के लिए अपनी सोने की चेन गिरवी रखनी पड़ी. बाद में बेटे को मैच फीस मिलने के बाद उन्होंने गहने का छुड़ाया.