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घरेलू क्रिकेट का नया चैंपियन: मध्य प्रदेश पहली बार जीता रणजी ट्रॉफी का खिताब

मैच के पांचवे और आखिरी दिन रविवार को मध्य प्रदेश ने मुंबई को छह विकेट से हराकर रणजी ट्रॉफी का खिताब पहली बार जीत लिया.

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Ranji Trophy Final

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Published : Jun 26, 2022, 3:19 PM IST

Updated : Jun 26, 2022, 5:46 PM IST

बेंगलुरु:मध्यप्रदेश की युवा टीम ने देश के सबसे बड़े डोमेस्टिक क्रिकेट टूर्नामेंट रणजी ट्रॉफी में नया इतिहास रच दिया है. बेंगलुरु में खेले गए फाइनल मुकाबले में मुंबई को हराकर चैंपियन बन गया है. मध्यप्रदेश की टीम ने 41 बार की मुंबई को छह विकेट से हराकर खिताब अपने नाम किया है. 88 साल के रणजी के इतिहास में यह पहला मौका है, जब मध्य प्रदेश ने ट्रॉफी जीता है.

23 साल पहले भी मध्य प्रदेश फाइनल में पहुंचे था, लेकिन कर्नाटक से हार का सामना करना पड़ा था. मैच के आखिरी दिन मुंबई की दूसरी पारी 269 रन के स्कोर पर सिमट गई. इस तरह मध्य प्रदेश को जीत के लिए 108 रन का टारगेट मिला, जिसे उसने चार विकेट खोकर हासिल कर लिया. पहली पारी में मुंबई ने 374 रन बनाए थे. जिसके जवाब में मध्यप्रदेश ने 536 रन बनाते हुए. 162 रन की बढ़त हासिल की थी.

लक्ष्य का पीछा करने उतरी एमपी की शुरुआत सलामी जोड़ी हिमांशु मंत्री और यश दुबे ने की. हालांकि, एक रन बनाकर दुबे दूसरे ओवर में ही गेंदबाज डी. कुलकर्णी की गेंद पर क्लीन बोल्ड होकर वापस पवेलियन लौट गए. उनके बाद शुभम एस शर्मा बल्लेबाजी के लिए क्रीज पर आए और मंत्री के साथ पारी को आगे बढ़ाया.

ट्रॉफी के साथ मध्य प्रदेश टीम के खिलाड़ी.

एमपी के लिए लक्ष्य इतना कठिन नहीं था कि बल्लेबाजों को जीत के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ती. दूसरे विकेट के लिए दोनों बल्लेबाजों के बीच 52 रन की साझेदारी हुई और हिमांशु मंत्री गेंदबाज शैम्स मुलानी के ओवर में क्लीन बोल्ड हो गए. उन्होंने 55 गेंदों पर तीन चौके की मदद से 37 रन बनाए. उनके बाद पार्थ सहानी क्रीज पर आए.

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हालांकि, सहानी भी गेंदबाज सैम्स मुलानी की गेंद पर कोतियान को कैच थमा बैठे और 5 रन बनाकर वापस पवेलियन लौट गए. उसके बाद रजत पाटीदार क्रीज पर आए और शुभम शर्मा के साथ पारी को आगे बढ़ाया. इस बीच शर्मा गेंदबाज मुलानी के ओवर में अरमान जाफर को कैच थमा बैठे. शर्मा ने इस दौरान 75 गेदों पर एक चौका और एक छक्के की मदद से 30 रन बनाए.

एमपी ने यहां तक चार विकेट के नुकसान पर 101 रन बना लिए थे. उनके बाद आदित्य श्रीवास्तव क्रीज पर आए, जिन्होंने पाटीदार के साथ नाबाद पारी खेली और एमपी को जीत की कगार पर पहुंचा दिया. एमपी ने 29.5 ओवर में मैच को अपने नाम कर लिया. टीम ने 4 विकेट के नुकसान पर 108 रन बनाए.

इससे पहले एमपी की पहली पारी में यश दुबे (133), शुभम शर्मा (116) और पाटीदार (122) ने शतक जड़े थे, जिस कारण टीम ने 536 रन का विशाल स्कोर खड़ा किया था. वहीं, सारंश जैन ने भी अर्धशतक लगाकर 57 रन का योगदान दिया था. वहीं, मुंबई ने पहली पारी में 10 विकेट के नुकसान पर 374 रन बनाए थे, जहां सरफराज खान (134) ने शतक जड़ा था, साथ ही जायसवाल ने 78 रन की पारी खेली थी.

प्लेयर ऑफ द मैच का अवॉर्ड- शुभम शर्मा
पहली पारी में 116 रन, दूसरी पारी में 30 रन
25 हजार रुपए का चेक दिया गया.

प्लेयर ऑफ द सीरीज का अवॉर्ड- सरफराज खान
रणजी ट्रॉफी 2021-22 में 982 रन बनाए
एक लाख रुपए का चेक मिला.

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पूरे टूर्नामेंट में अजेय रही मध्य प्रदेश की टीम
पहला मैच: मध्य प्रदेश बनाम गुजरात- मैच मध्य प्रदेश ने 106 रन से जीता
दूसरा मैच: मध्य प्रदेश बनाम मेघालय- मध्य प्रदेश पारी और 301 रन से जीता
तीसरा मैच:मध्य प्रदेश बनाम केरल- मैच ड्रॉ
चौथा मैच (क्वार्टर फाइनल): मध्य प्रदेश बनाम पंजाब- मध्य प्रदेश 10 विकेट से जीता
पांचवां मैच (सेमीफाइनल): मध्य प्रदेश बनाम बंगाल- मध्य प्रदेश 174 रन से जीता
छठा मैच (फाइनल): मध्य प्रदेश बनाम मुंबई- मध्य प्रदेश छह विकेट से जीता

मध्य प्रदेश के कोच चंद्रकांत को करना पड़ा 23 साल का इंतज़ार
खिलाड़ियों के बीच चंदू सर के नाम से मशहूर पंडित काफी सख्त कोच माने जाते हैं. अपने इसी अंदाज से उन्होंने विदर्भ जैसी टीम को लगातार दो साल 2017-18 और 2018-19 में चैंपियन बनाया था. विदर्भ से जुड़ने से पहले चंद्रकांत मुंबई के कोच थे और उनकी कोचिंग में मुंबई ने तीन बार ख़िताब जीता. मध्यप्रदेश के लिए भी वह यही कमाल किये. यही चंद्रकांत पंडित 23 साल पहले फाइनल में मध्य प्रदेश के कप्तान थे. 1998-99 रणजी के फाइनल में पहुंचने वाली टीम को 23 साल तक इस दिन का इंतजार करना पड़ा.

मुख्यमंत्री ने दी बधाई
मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर लिखा कि मैच में अपने अद्भुत और अद्वितीय खेल से मप्र की टीम ने न केवल शानदार जीत प्राप्त की है. बल्कि लोगों का हृदय भी जीत लिया. इस अभूतपूर्व जीत के लिए मध्यप्रदेश की टीम को हार्दिक बधाई देता हूं. आपकी जीत का यह सिलसिला अविराम चलता रहे, शुभकामनाएं.

महाराजा रणजीत सिंह के नाम पर शुरू हुई थी रणजी ट्रॉफी
रणजी ट्रॉफी का नाम महाराजा रणजीत सिंह के नाम पर रखा गया. महाराजा रणजीत सिंह भारत के पहले क्रिकेटर थे, जिन्हें इंग्लैंड की क्रिकेट टीम से खेलने का मौका मिला था. इंग्लैंड के लिए 1896 से 1902 के बीच 15 टेस्ट मैच खेले. यह वह दौर था जब भारत की क्रिकेट टीम नहीं हुआ करती थी. रणजीत सिंह की 1933 में मृत्यू के बाद 1934 में उनके नाम पर भारत में घरेलू टूर्नामेंट रणजी शुरू हुआ, पहला मैच 4 नवंबर 1934 को मद्रास और मैसूर के बीच चेपक के मैदान पर खेला गया, इस टूर्नामेंट के लिए पटियाला के महाराज की ओर से ट्रॉफी दान में दी गई थी.

Last Updated : Jun 26, 2022, 5:46 PM IST

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