नई दिल्ली : खेल एक ऐसा माध्यम होता है जिसके जरिए मैदान पर प्रेम और शांति के साथ-साथ आपसी भाईचारा भी निभाया जाता है. खेल में हार के बाद भी आप खेल भावना का परिचय देते हुए अपने विरोधी को गले लगाकर उसे जीत की बधाई देते हैं. ऐसा करने से आपके बीच पैदा हुई आपसी खटास मिट जाती है और एक बार फिर से प्रेम और शांति कायम हो जाती है. ऐसा ही नजारा अब मणिपुर के युवाओं में देखने के लिए मिल रह है.
दरअसल पिछले कुछ समय से मणिपुर हिंसा ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींच रखा है. ये हिंसा लगभग 5 महीने बीत जाने के बाद भी जारी है. मणिपुर की दो जातियां मैतेई और कुकी आपस में एक-दूसरे की जान के प्यासे बन गए हैं. इस हिंसा ने कई घरों को आगे के हवाले कर दिया और कई लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा था. अब मणिपुर के युवा इस हिंसा को खेल के जरिए प्रेम और शांति में बदलने की राह पर चल पड़े हैं. मैतेई और कुकी जाति के युवा फुलबॉल के माध्यम से आपसी भाईचारें को दोबारा जिंदा कर रहे हैं.
बता दें कि पड़ोसी राज्य असम ने फुटबॉल के जरिए कुकी और मैतेई समुदाय के भाईचारे को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाई है. जोरहाट स्टेडियम में खेले जा रहे ए डिवीजन फुटबॉल टूर्नामेंट में मणिपुर के कुकी और मैतेई समुदाय के 15 युवा खेल रहे हैं. जो खेल के जरिए शांति का संदेश मैदान से दे रहे हैं.