मुंबई:भारत के पूर्व क्रिकेटर और कोच रवि शास्त्री ने स्पिनर युजवेंद्र चहल के इस खुलासे को चौंकाने वाला करार दिया है कि उन्हें साल 2013 के आईपीएल के दौरान नशे में धुत साथी क्रिकेटर ने 15वीं मंजिल की होटल की बालकनी से लटका दिया था. साथ ही कहा कि अगर अब ऐसी घटना होती है तो उस खिलाड़ी पर आजीवन प्रतिबंध लगना चाहिए.
राजस्थान रॉयल्स के खिलाड़ी चहल ने शुक्रवार को बेंगलुरु में आईपीएल 2013 के दौरान एक भयानक घटना का खुलासा किया था. जब उन्हें एक नशे में धुत क्रिकेटर ने एक ऊंची होटल की बालकनी से लटका दिया था, जिससे वह बेहोश हो गए थे.
बता दें कि चहल तब आईपीएल फ्रेंचाइजी मुंबई इंडियंस के साथ अपने अंतिम वर्ष में थे. इससे पहले कि उन्होंने विराट कोहली की अगुवाई वाली रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (आरसीबी) के साथ एक लंबा कार्यकाल शुरू किया, जो आईपीएल 2021 के बाद समाप्त हो गया. बिना नाम बताए क्रिकेटर के खिलाफ चहल के खुलासे ने उनके प्रशंसकों को नाराज कर दिया, जिन्होंने भारतीय क्रिकेट बोर्ड की ओर से अपराधी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की.
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शास्त्री ने ईएसपीएन क्रिकइंफो को बताया, (यह) कोई हंसी की बात नहीं है. मुझे नहीं पता कि वह व्यक्ति कौन है. अगर ऐसा है, तो यह एक बड़ी चिंता की बात है. क्योंकि इससे किसी की जान जोखिम में हो सकता है. लोग सोच सकते हैं कि यह मजाकिया है, लेकिन मेरे लिए यह बिल्कुल भी मजाकिया नहीं है.
चहल ने कहा था कि वह पहली बार कहानी का खुलासा कर रहे हैं. उन्होंने आगे कहा, मैंने इसे कभी साझा नहीं किया. यह साल 2013 से था, जब मैं मुंबई इंडियंस के साथ था. हमारा बेंगलुरु में एक मैच था. उसके बाद एक टीम मीटिंग हुई थी तो एक खिलाड़ी था जो बहुत नशे में था. मैं उसका नाम नहीं बताऊंगा वह बहुत नशे में था. वह बहुत देर से मुझे देख रहा था और उसने बस मुझे फोन किया और वह बाहर ले गया और उसने मुझे बालकनी से लटका दिया.
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34 वर्षीय चहल ने आगे कहा, और मेरे हाथ उसके चारों ओर थे, इस तरह (गर्दन के पीछे). अगर मैं अपनी पकड़ खो देता, तो मैं 15वीं मंजिल से गिर भी सकता था. अचानक वहां कई लोग आए और उन्होंने इसे संभाला. मैं बेहोश हो गया, उन्होंने मुझे पानी दिया. मैं बाल-बाल बच गया था. अगर थोड़ी सी भी गलती होती, तो मैं नीचे गिर जाता.
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने अपने लंबे पेशेवर क्रिकेट करियर में कुछ इस तरह का सामना किया है, शास्त्री ने कहा, कभी नहीं. यह पहली बार है जब मैं इस तरह की कठोर बात सुन रहा हूं, और यह मजाक नहीं है. अगर यह आज होता है, तो मैं मांग करता कि उस व्यक्ति को आजीवन प्रतिबंध लगा देना चाहिए था. शास्त्री ने महसूस किया कि संवेदनशीलता, खिलाड़ी शिक्षा और ऐसी घटनाओं को अधिकारियों के संज्ञान में लाना बेहद आवश्यक था.