लंदन : आईसीसी विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप फाइनल में हार के बाद भारत के मुख्य कोच राहुल द्रविड़ ने अपनी ओर से बल्लेबाजों का बचाव किया और सिर्फ अच्छी साझेदारी न कर पाने से यह फाइनल मैच हार गए. हालांकि गलत शॉट सेलेक्शन पर कुछ नहीं बोले. लेकिन जीतने के लिए रिस्क उठाने की आदत को सही ठहराया. ऐसे में कभी कभी खिलाड़ी आउट भी हो जाते हैं.
भारत के मुख्य कोच राहुल द्रविड़ का मानना है कि उनके गेंदबाज ओवल की पिच पर बेहतर प्रदर्शन कर सकते थे, जहां उन्होंने विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप फाइनल की पहली पारी में ऑस्ट्रेलिया को 469 रन बनाने दिए और टीम में बड़े खिलाड़ी शामिल थे, जो एक कठिन 444 के लक्ष्य का पीछा करने के लिए एक ठोस साझेदारी बना सकते थे, लेकिन वे फेल रहे. बड़ी साझेदारी न होने व गलत शॉट सेलेक्शन के कारण भारतीय टीम लगातार दूसरी बार आईसीसी विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप का फाइनल मैच हार गयी.
संघर्ष के पहले दिन, ट्रेविस हेड (163) और स्टीव स्मिथ (121) ने 285 रनों की साझेदारी करने के लिए भारतीय गेंदबाजी लाइन-अप की कमी का पूरा फायदा उठाया और ऑस्ट्रेलिया की पहली पारी को 469 तक ले गए. पहली पारी में अजिंक्य रहाणे (89) और शार्दुल ठाकुर (51) के बल्ले से देर से वापसी करने के बावजूद भारत 296 तक ही पहुंच सका.
द्रविड़ बोले-
"यह स्पष्ट रूप से कठिन था.. हमेशा उम्मीद रहती है कि हम कितने भी पीछे क्यों न हों, हम पीछे रहने के बाद वापस लड़ सकते हैं.. पिछले 2 वर्षों में कई टेस्ट जहां हमने कठिन परिस्थितियों में कड़ा संघर्ष किया है. जरूरत रहती है केवल एक बड़ी साझेदारी की, इसके लिए हमारे पास बड़े खिलाड़ी थे, लेकिन उनका पलड़ा भारी था.."
द्रविड़ ने मैच समाप्त होने के बाद स्टार स्पोर्ट्स से कहा कि यह 469 रन की पिच नहीं थी. पहले दिन आखिरी सत्र में बहुत अधिक रन दिए. हमें पता था कि किस लाइन और लेंथ में गेंदबाजी करनी है. हमारी लेंथ खराब नहीं थी, लेकिन हमने शायद बहुत अधिक गेंदबाजी की और हेड को अच्छी बल्लेबाजी करने के लिए जगह दी. शायद हम अधिक सावधान हो सकते थे.."
टीम के पूर्व साथी सौरव गांगुली द्वारा पहले गेंदबाजी करने का फैसला करने के तर्क के बारे में पूछे जाने पर द्रविड़ ने कहा कि दबाव ने कोई भूमिका नहीं निभाई. उन्होंने कहा कि विकेट पर काफी घास थी और बादल छाए हुए थे. ऐसे में पहले गेंदबाजी करने के फैसले पर कोई सवाल नहीं बनता. हमने देखा है कि इंग्लैंड में बल्लेबाजी आसान हो जाती है. अगर आपने देखा तो पता होगा कि बल्लेबाजों को चौथे या पांचवें दिन ज्यादा मदद नहीं मिली.