नई दिल्ली : वेस्टइंडीज के दौरे पर गई भारतीय क्रिकेट टीम वैसे तो कागज पर काफी मजबूत कही जा रहा थी, तभी तो भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड व टीम मैनेजमेंट ने वनडे और टी-20 सीरीज में भारत के कई वरिष्ठ खिलाड़ियों को नजरअंदाज करते युवा कंधों पर दोनों सीरीज को जीतने की जिम्मेदारी दी गई, लेकिन युवाओं से भरी इस टीम में कई तरह के अनोखे प्रयोग और खिलाड़ियों को खेलने की अनिश्चितता को लेकर भारतीय क्रिकेट टीम ने न सिर्फ एक वनडे मैच हार गयी बल्कि टी20 मैचों की सीरीज हारने के कगार पर पहुंच गयी है.
कहा जा रहा है कि हद से अधिक प्रयोग के कारण भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ियों के ऊपर एक अनावश्यक रूप से मनोवैज्ञानिक दबाव बना हुआ है, क्योंकि युवा खिलाड़ियों से भरी इस टीम में बल्लेबाजी और गेंदबाजी के क्रम को लेकर टीम प्रबंधन और कप्तान के द्वारा कई तरह के अनोखे प्रयोग किए जा रहे हैं. टीम में यह भी कंफर्म नहीं है कि कौन बल्लेबाज किस क्रम पर बल्लेबाजी करेगा और उसका अगले मैच में बैटिंग ऑर्डर क्या होगा. यही हाल गेंदबाजी का है. यह तय ही नहीं हो पा रहा है कि भारत का मुख्य स्ट्राइक गेंदबाज कौन है और किसके भरोसे टीम गेंदबाजी में लीड करने जा रही है.
भले ही पिछले कुछ वर्षों में कई टीमों ने टी20 क्रिकेट में सफल होने के कई तरीके अपनाएं हैं, लेकिन आपकी गेंदबाजी व बल्लेबाजी को लेकर एक माइंडसेट क्लीयर होना चाहिए और वैकल्पिक स्थिति के रूप में इसे बदलने की कोशिश करनी चाहिए. पहला वनडे मैच जीतने व दूसरा वनडे मैच हारने के बाद भी टीम में सीनियर खिलाड़ी नहीं खेले और तीसरे वनडे में अच्छी बैटिंग के दम पर टीम ने सीरीज जीत ली, लेकिन वही खिलाड़ी टी-20 सीरीज में फेल होते जा रहे हैं. टीम प्रबंधन के बल्लेबाज व गेंदबाज जब जरूरत हो तब या तो रन नहीं बना पा रहे हैं या विकेट निकालने में असफल साबित हो रहे हैं.