हैदराबाद:भारतीय क्रिकेट टीम एक बार फिर श्रीलंका से मुकाबले की तैयारी कर रही है. भारत बनाम श्रीलंका के बीच सीरीज का दूसरा मैच 12 मार्च से बेंगलोर में खेला जाएगा. ये मैच इसलिए खास है, क्योंकि ये पिंक बॉल टेस्ट होगा, यानी दिन और रात में खेला जाने वाला टेस्ट मैच. भारतीय टीम लंबे समय बाद डे नाइट टेस्ट के लिए उतरने जा रही है. इसलिए भारतीय खिलाड़ी भी खास तैयारी में अभी से जुट गए हैं. सीरीज का पहला टेस्ट तीन ही दिन में खत्म हो गया था. इसलिए उन्हें तैयारी का कुछ और वक्त मिल गया है.
बताते चलें, पिंक बॉल टेस्ट का इतिहास बहुत लंबा है, लेकिन टीम इंडिया ने अभी तक तीन ही डे नाइट टेस्ट खेले हैं. ऐसे में खास बात ये भी है कि इसमें भारत की जीत का प्रतिशत अच्छा ही रहा है. भारत ने साल 2019 के नवंबर में अपना पहला पिंक बॉल टेस्ट खेला था. ये मैच भारत के ही ईडन गार्डेंस में खेला गया था और बांग्लादेश की टीम हमारे सामने थी.
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भारतीय टीम ने उस दरमियान शानदार प्रदर्शन करते हुए बांग्लादेश को चारो खाने चित्त किया था. इस मैच को भारत ने पारी और 46 रन से जीता था. ये वही मैच था, जिसमें भारतीय टीम के तब के कप्तान विराट कोहली ने शतक जड़ा था और भारत की ओर से पिंक बॉल टेस्ट में शतक लगाने वाले पहले खिलाड़ी भी बने थे. इसके बाद से अभी तक विराट कोहली कोई भी इंटरनेशनल शतक नहीं लगा पाए हैं. क्या विराट के बल्ले से फिर से शतक निकलेगा, फिलहाल ये तो मैच में ही पता चलेगा.
आखिर डे नाइट टेस्ट में पिंक बॉल ही क्यों?
- क्रिकेट की शुरुआत लाल बॉल से हुई. लेकिन जब डे नाइट मैचों का आगमन हुआ, तो सफेद बॉल ने क्रिकेट के मैदान में दस्तक दे दी.
- लाल बॉल दिन में अच्छी तरह से दिखती है तो सफेद बॉल रात में खिलाड़ियों को अच्छी तरह से दिखाई देती है.
- लेकिन जब दिन रात के टेस्ट मैच की बात आई तो पिंक बॉल को तरजीह दी गई. ऐसा इसलिए किया गया, क्योंकि दोनों बॉल की ड्यूरेबिलिटी में अंतर होता है.
- टेस्ट मैच में बॉल को एक पारी में करीब 80 ओवर तक रखना होता है. उसके बाद ही नई बॉल ले सकते हैं.
- सफेद बॉल में उसका रंग जल्दी उड़ने लगता है. रंग उड़ने के बाद इसे देख पाने में खिलाड़ियों को दिक्कत होती है. टेस्ट मैच में 80 ओवर तक सफेद गेंद से खेल संभव नहीं हो सकता.
- सफेद बॉल डे नाइट मैच के लिए बिल्कुल मुफीद होती है. लेकिन ये अपना रंग भी जल्दी छोडती है.
- 30 ओवर के बाद कोटिंग उतरने लगती है. टी-20 और वनडे में तो कोई दिक्कत नहीं होती, लेकिन टेस्ट मैच में गेंद को 80 ओवर तक रखना होता है. ऐसे में टेस्ट मैच में सफेद बॉल से खेल संभव नहीं होता.
- पिंक बॉल को बनाने में उसमें कलर का काफी ख्याल रखा जाता है. उसमें रंग की कई परत चढ़ाई जाती है. ऐसे में काफी देर तक उसका रंग नहीं उड़ता. उसकी विजिबिलिटी काफी अच्छी रहती है. इसी कारण टेस्ट मैच में पिंक बॉल का इस्तेमाल किया जाता है.
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पिंक बॉल टेस्ट मैचों में भारत का रिकॉर्ड
- भारत ने पहला पिंक बॉल टेस्ट नवंबर 2019 में बांग्लादेश के खिलाफ कोलकाता के प्रसिद्ध ईडन गार्डन्स मैदान पर खेला था. उन्होंने बांग्लादेशियों को हराया और आसानी से एक पारी में जीत हासिल की. विराट कोहली ने 136 रन बनाकर अपना 27वां टेस्ट शतक बनाया और इस बीच पिंक टेस्ट मैचों में शतक बनाने वाले पहले भारतीय बल्लेबाज बन गए थे.
- भारत का दूसरा गुलाबी गेंद का खेल दिसंबर 2020 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हुआ था. यह भारत के लिए सबसे निराशाजनक खेलों में से एक था, जिसे उन्होंने प्रारूप में खेला था. क्योंकि भारतीय टीम को ऑस्ट्रेलियाई टीम के हाथों आठ विकेट से हार का सामना करना पड़ा था.
- फरवरी 2021 में भारत ने इंग्लैंड के खिलाफ अपना तीसरा पिंक बॉल टेस्ट खेला था. अहमदाबाद के उस मैच को भारत ने बड़े अंतर से जीता था. 6/38 और 5/32 के आंकड़ों के साथ, अक्षर पटेल इंग्लैंड पर भारत की 10 विकेट की जीत के स्टार थे.