पूर्व भारतीय विकेटकीपर सुरिंदर खन्ना बोले- अगर कोई खिलाड़ी दबाव महसूस नहीं करता है, तो वह खेल के प्रति गंभीर नहीं है
Surinder Khanna ETV BHARAT EXCLUSIVE Interview : ईटीवी भारत के नेशनल ब्यूरो चीफ राकेश त्रिपाठी के साथ एक विशेष इंटरव्यू में, भारत के पूर्व विकेटकीपर सुरिंदर खन्ना ने कहा है कि एक खिलाड़ी अपने खेल के प्रति उतना गंभीर नहीं है यदि वह खेल में उत्कृष्टता हासिल करने का दबाव महसूस नहीं करता है. उन्होंने टॉस की भूमिका, विराट कोहली के रिप्लेसमेंट और रोहित की कप्तानी सहित अन्य के बारे में खुलकर बात की है.
नई दिल्ली: भारत के पूर्व विकेटकीपर सुरिंदर खन्ना का मानना है कि भारत और न्यूजीलैंड के बीच, जो टीम अपनी नर्व्स पर नियंत्रण रखेगी, वह मौजूदा आईसीसी क्रिकेट विश्व कप 2023 के पहले सेमीफाइनल में विजयी होगी, जो आज दोपहर 2 बजे से मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में आयोजित किया जाएगा.
सुरिंदर खन्ना भारतीय क्रिकेट की वनडे टीम का हिस्सा रहे हैं और 1979 का वर्ल्ड कप खेली भारतीय टीम का हिस्सा भी. बाद में 1984 में शारजाह में एशिया कप जिताने में उनकी अहम भूमिका रही.
विशेष इंटरव्यू के कुछ अंश :-
सवाल- भारत-न्यूज़ीलैंड के बीच सेमी फाइनल का मैच मुंबई में होने जा रहा है, आप इसे कैसे देखते हैं ? जवाब- न्यूजीलैंड ने पिछले दो वर्ल्ड कप फाइनल खेले हैं और मैने दोनों टीमों की जो फॉर्म देखी है अब तक इस टूर्नामेंट में उसे देखते हुए मैं कह सकता हूं कि भारत ने अब तक शानदार क्रिकेट खेला है और अपने सारे मुकाबले बड़े आराम से जीते हैं. लेकिन ये नॉक आउट मुकाबला है, तो उस दिन हम कैसे खेलते हैं ये उस पर निर्भर करेगा कि क्या होता है. आज से पहले जो भी हुआ, वो रिकॉर्ड बुक्स में है. ये उसी दिन तय होगा कि फाइनल कौन खेलेगा. लेकिन मैं भारतीय टीम को फेवरेट मानकर चल रहा हूं.
सवाल- ऐसा कहते हैं कि नॉक आउट मुकाबलों में भारत दबाव में आ जाता है, क्या ये सही है ? जवाब-इंटरनेशनल क्रिकेट में प्रेशर तो है ही. ये कहना ठीक नहीं है कि नॉक आउट मुकाबलों में ज्यादा होता है प्रेशर, उसके पहले नहीं होता. जब आप देश के लिए खेल रहे होते हैं, तो दबाव तो होता ही है. और अगर वो दबाव नहीं है तो मैं मानता हूं कि खिलाड़ी अपने खेल को लेकर गंभीर नहीं है. मुझे याद है मैंने सौ मीटर रेस के एक ओलंपिक चैम्पियन से बात की थी. तीन ओलिंपिक जीतने के बाद भी उन्होंने कहा था कि तीन बार गोल्ड मेडल जीतने के बाद भी मैं जब ट्रैक पर आती हूं तो मुझे लगता है आज पता नहीं क्या होगा. विराट कोहली का वर्क कल्चर देखिए, रोहित शर्मा को बैटिंग करते देखकर लगता है कि बैटिंग कितनी आसान सी बात है. ऐसे ही न्यूजीलैंड में केन विलियम्सन है, एक Phrase है कि let your work make noise…..तो न्यूजीलैंड टीम इसी तरह काम करती है. बेशक हमारे खिलाड़ियों की चर्चा ज्यादा होती है और उनके खिलाड़ियों की कम, लेकिन उनका काम भी किसी से कम नहीं है. डिसिप्लिन्ड हैं, बहुत प्लानिंग के साथ खेलते हैं और बड़ी बड़ी बातें नहीं करते, तो उनका काम बोलता है. मुकाबला टक्कर का है और जो nerves पर कंट्रोल रखेगा, वही जीतेगा.
सवाल- मुंबई में वानखेड़े की पिच लाल मिट्टी की है और गेंद अच्छी बाउंस लेकर आती है और बड़े स्कोर भी पहली पारी में बनते हैं. जानकार ये भी कहते हैं कि 'टॉस जीते तो मैच जीते' क्या ये फ्रेज इस सेमी फाइनल के लिए भी सही है ? जवाब- कई फैक्टर्स हैं. रोहित शर्मा बहुत शांत स्वभाव के हैं. खुद को कंट्रोल कर के रखते हैं. मैदान पर उनको किसी बात से अपसेट बहुत कम ही देखा जाता है. जब कप्तान फॉर्म में होता है, तो अपने खिलाड़ियों से भी अच्छी परफॉर्मेंस करवा लेता है. रोहित अनुभवी है, तीन-चार बार तो उन्होंने मुंबई को आईपीएल जितवाया है. मुंबई के हैं रोहित, अपने घर में खेल रहे हैं. टीम के चार-पांच खिलाड़ी मुंबई से हैं. तो वो वहां की कंडीशन्स से वाक़िफ हैं. आप ध्यान दें तो उन्हीं ग्राउंड्स में ज्यादा मैच हुए जहां आईपीएल मैच होते हैं. तो किसी को Undue Advantage नहीं है. ये लेवल प्लेइंग फील्ड है. देखना होगा कि वहां विकेट कैसे होल्ड करती है, क्योंकि वहां गर्मी और ह्यूमिडिटी बहुत है. अफगानिस्तान के खिलाफ मैक्सवेल ने अकेले ही दो सौ मार दिए. कोई सोच भी नहीं सकता था. वहां मैक्सवेल को cramps आ रहे थे क्योंकि मुंबई में water loss होता है, salt loss होता है, तो भारत और न्यूजीलैंड दोनों के ही खिलाड़ी आईपीएल में यहीं खेलते हैं और यहां के मौसम के बारे में जानते हैं.
सवाल- भारतीय टीम की जो संरचना है, क्या उसे देखते हुए आपको लगता है कि टॉस हार गए तो भी हमारी बॉलिंग इस काबिल है कि न्यूज़ीलैंड को मुश्किल में डाल दे ? जवाब- हमारे पास रविंद्र जडेजा सात नंबर पर आता है और बल्लेबाजी के साथ-साथ बॉलिंग भी बढ़िया करता है. हमे बल्लेबाज नौ नंबर तक बैटिंग करते हैं लेकिन ऊपर के बैट्समेन ही पचास ओवर खेल जाएं, तो बात है. भारत को अपने पोटेंशियल पर खेलना चाहिए. एक क्रिकेटर की हैसियत से मैं तो चाहूंगा कि हम बढ़िया सेमी फाइनल खेलें, लेकिन हिदुस्तानी होने के नाते मैं चाहूंगा कि भारत ही जीते और फाइनल खेले. जहां तक टॉस का सवाल है, हम चेज भी अच्छा करते हैं, विराट कोहली मास्टर है इसका. पहले हमने बैटिंग की है तो बड़े स्कोर लगाए हैं और चेज किया तो अच्छी तरह किया. कप्तान परफॉर्म कर रहा हो तो बाकी खिलाड़ियों से भी परफॉर्म करवा लेता है. अब देखो बाबर आजम...कप्तानी का प्रेशर उसकी बैटिंग पर भी आ गया. राहित परफॉर्म कर रहा है, तो दूसरों से फरफॉर्म भी करवा रहा है.
सवाल- भारतीय बॉलिंग में हाल ही में जो धार आई है, इस पर आप क्या कहेंगे ? जवाब- पिछले दो साल में अगर देखें तो शमी, सिराज और हमारे स्पिनर्स या सब लगातार बहुत अच्छा प्रदर्शन करते आ रहे हैं. इंजरी के बाद वापसी करने पर बुमराह जिस तरह से गेंद को अंदर-बाहर करवा रहा है, मेरे ख्याल से सिर्फ न्यूजीलैंड के सीमर्स बोल्ट और हेनरी करवा पा रहे हैं. बुमराह के आने से हमारी बॉलिंग बहुत बेहतरीन लग रही है. अपने पहले कुछ ओवर्स में ही बुमराह बल्लेबाजों पर अंकुश लगाने में कामयाब रहते हैं. हमारी फील्डिंग अच्छी होने से बॉलर्स की धार और भी तेज हो जाती है. इसी तरह न्यूजीलैंड के बोल्ट, हेनरी और सेंटनर भी अपने पहले स्पेल में खतरनाक होते हैं. दोनो टीमों का संतुलन मुकाबले का है. जीतेगा वहीं, जो नर्व्स पर कंट्रोल कर के खेलेगा. मैं तो चाहता हूं कि इंडिया जीते.
सवाल- क्या आप इस सब के लिए वर्क लोड मैनेजमेंट को श्रेय देते हैं ? जवाब- उसकी चर्चा न ही करें तो अच्छा है. बेंच स्ट्रेंथ में नया खिलाड़ी तो मुझे नजर नहीं आया. सारे पुराने ही खेल रहे हैं. जायसवाल या गायकवाड़ आता तो हम कहते कि वर्क लोड मैंनेजमेंट हुआ. इसकी बात आज न करें, इस पर चर्चा फिर कभी.
सवाल- अब जब विराट कोहली 35 के हो गए हैं, उनमें कितनी क्रिकेट बची आप देखते हैं ? जवाब- Age is only a number…अगर आप में हर रोज मैदान पर परफॉर्म करने की, बड़ा स्कोर करने की भूख है, वो बॉडी लैंग्वेज बता देती है. बड़े प्लेयर खुद तय करते हैं कि उन्हें कब जाना है. विलियम्सन, स्मिथ, विराट कोहली और जो रूट...इनके जाने के बाद वैक्यूम आएगा क्योंकि ये टेक्निकली अच्छे हैं और इनकी longevity भी कमाल की है. इन चारों के ही शतक मिला लें तो सवा सौ के करीब हो जाएंगे. लोग तो इन चारों को मिस करेंगे ही, क्रिकेट भी इन्हें मिस करेगा.
सवाल- आपको क्या लगता है विराट कोहली की जगह कौन खिलाड़ी ले पाएगा ? जवाब- जब नेहरू जी थे, हम सोचते थे उनके बाद कौन, लेकिन देश तो उनके जाने के बाद भी चल रहा है. इसी तरह गावस्कर और विश्वनाथ के बाद कपिल देव जैसा कप्तान आया, फिर गांगुली आए, फिर सचिन आए और अब विराट कोहली हैं. हर Era में बड़े खिलाड़ी आते रहते हैं. आईपीएल ने क्रिकेट को और बड़ा कर दिया है और अब खिलाड़ी 42-44 की उम्र तक खेल रहे हैं. तो असल में बड़े खिलाड़ियों की जगह कोई ले ही नहीं सकता.