हैदराबाद : अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने सोमवार को तीन क्रिकेटरों को अपने प्रतिष्ठित क्रिकेट हॉल ऑफ फेम में शामिल किया. इस तिकड़ी में भारत के दमदार ओपनर वीरेंद्र सहवाग, पूर्व भारतीय महिला क्रिकेट टेस्ट कप्तान डायना एडुल्जी और श्रीलंका की पूर्व स्टार बल्लेबाज अरविंदा डी सिल्वा शामिल हैं.
आईसीसी ने अपने बयान में कहा, 'खेल के तीन महान खिलाड़ी आईसीसी क्रिकेट हॉल ऑफ फेम में शामिल होने वाले नवीनतम खिलाड़ी बन गए हैं'. इन क्रिकेटरों के शामिल होने से ICC हॉल ऑफ फेम में सम्मानित क्रिकेटरों की कुल संख्या 112 हो गई है. इस सूची में भारत के 8 खिलाड़ी हैं, जिनमें सुनील गावस्कर, बिशन सिंह बेदी, कपिल देव, अनिल कुंबले, राहुल द्रविड़, सचिन तेंदुलकर, वीनू मांकड़ जैसे दिग्गज शामिल हैं. और अब, डायना एडुल्जी और वीरेंद्र सहवाग भी इसमें शामिल हो गए हैं.'
एडुल्जी का शामिल होना एक ऐतिहासिक क्षण है क्योंकि वह आईसीसी हॉल ऑफ फेम की शोभा बढ़ाने वाली पहली भारतीय महिला क्रिकेटर बन गई हैं. आईसीसी ने डायना के महत्वपूर्ण योगदान पर प्रकाश डाला, जिसमें तीन आईसीसी महिला क्रिकेट विश्व कप में उनका नेतृत्व भी शामिल है. एडुल्जी ने 1978 और 1993 में भारत की कप्तानी की. उनके कीर्तिमानों में उनके दूसरे टेस्ट मैच में अर्धशतक और 8 साल बाद ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 6-64 का उल्लेखनीय गेंदबाजी प्रदर्शन शामिल है.
आईसीसी ने एडुल्जी के योगदान की घोषणा करते हुए कहा, '17 साल के अंतरराष्ट्रीय खेल करियर और भारतीय महिला क्रिकेट इतिहास में सबसे सफल घरेलू टीम की स्थापना में उनकी अहम भूमिका के कारण एडुल्जी आईसीसी हॉल ऑफ फेम में शामिल होने वाली पहली भारतीय महिला बन गई हैं'.
ईटीवी भारत से बात करते हुए एडुल्जी ने कहा कि आईसीसी क्रिकेट हॉल ऑफ फेम में उनका शामिल होना पूरी तरह से अप्रत्याशित था. उन्होंने कहा, 'यह न सिर्फ मेरे लिए बल्कि भारतीय महिला क्रिकेट और बीसीसीआई के लिए भी बड़ा सम्मान है'. उन्होंने अपने परिवार, दोस्तों, प्रशंसकों और भारत की क्रिकेट संचालन संस्था (बीसीसीआई) के समर्थन को स्वीकार किया.
उन्होंने कहा, 'मैं इस उपलब्धि के लिए आईसीसी और हॉल ऑफ फेम वोटिंग कमेटी का आभार व्यक्त करना चाहूंगी. यह पूरी तरह से अप्रत्याशित था और मैं इसे उन सभी को समर्पित करूंगी जो मेरे साथ खड़े रहे और मेरा मार्गदर्शन किया'. एडुल्जी 2017 में बीसीसीआई को चलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति (सीओए) का हिस्सा थीं.