हैदराबाद : पिछले दो विश्वकप में भारतीय टीम के प्रदर्शन को देखने के बाद किसी को भी भारतीय टीम से कुछ खास उम्मीद नहीं थी, क्योंकि एक बार फिर से विश्वकप इंग्लैंड में ही होना था तो ऐसा माना जा रहा था कि कुछ बदलने वाला तो है नहीं लेकिन किसे पता था कि एक कमजोर सी माने जाने वाली टीम विश्व चैंपियन वेस्टइंडीज को हराकर पूरी दुनिया को हैरान कर देने वाली थी. फाइनल से पहले स्टेडियम में इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के पत्रकार आपस में ये बातें कर रहे थे कि बहुत ही बोरिंग मैच होने वाला है, फाइनल में भारत की जगह ऑस्ट्रेलिया या इंग्लैंड होता तो कुछ मैच में मजा आता.
इस बार भी पहले दो विश्वकप की तरह दो ग्रुप बनाए गए थे, दोनों ग्रुप में चार चार टीमें थीं. इस बार अंतर सिर्फ ये हुआ कि अब ग्रुप की टीमों को आपस में एक-एक नहीं दो-दो मैच खेलने थे. वाइड और बाउंसर गेंदों के लिए भी नियमों में कुछ बदलाव किए गए थे. 30 गज के दायरे में फील्डिंग को लेकर भी नियम इसी विश्वकप में शुरू हुए थे. अगर बात ग्रुप की करें तो ए में इंग्लैंड, पाकिस्तान, न्यूजीलैंड और श्रीलंका की टीमें थी, तो ग्रुप बी में वेस्टइंडीज, भारत, ऑस्ट्रेलिया और जिम्बाब्वे की टीमें.
- पहला मुकाबला भारत vs वेस्टइंडीज
...वो कहते हैं न जब आगाज अच्छा हो तो अंजाम भी अच्छा ही होता है. इस बार पहले ही मुकाबले में भारत को दो बार की वर्ल्डकप विजेता वेस्टइंडीज से भिड़ना था. मैच के बाद किसी को यकीन ही नहीं हो रहा था कि भारत ने वेस्टइंडीज को इस मैच में हरा दिया है. यशपाल शर्मा ने शानदार बल्लेबाजी करते हुए 120 गेंदों में 89 रन बनाए. इस मैच में रवि शास्त्री और रोजर बिन्री ने शानदार गेंदबाजी की और दोनों ने 3-3 विकेट हासिल किए. मैनचेस्टर में खेले गए इस मुकाबले में भारत ने 34 रनों की जीत के साथ इस बार विश्वकप का आगाज किया.
- दूसरा मुकाबला भारत vs जिम्बाब्वे
पहले ही मैच में वेस्टइंडीज जैसी टीम को हराने के बाद टीम के हौंसले सातवें आसमान पर थे और उसका असर मैदान पर दिखाई भी दे रहा था. खिलाड़ियों के चेहरे मैदान पर खिले हुए थे. टॉस जीतने के बाद भारत ने पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया. जिम्बाब्वे को मात्र 151 रनों पर समेटते हुए टीम ने दिखा दिया था कि इस विश्वकप में वे कुछ बड़ा ही करने वाले हैं. मदनलाल ने शानदार गेंदबाजी करते हुए तीन विकेट हासिल किए. बाद में मोहिंदर अमरनाथ और संदीप पाटिल की बल्लेबाजी ने टीम को एक तरह का आत्मविश्वास दिया और जिमबाब्वे को एक आसान मुकाबले में हमने 135 गेंद शेष रहते हुए हरा दिया.
- तीसरा मुकाबला भारत vs ऑस्ट्रेलिया
तीसरा मुकाबला भारतीय टीम को नॉटिंघम में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेलना था. भारत को इस मैच में करारी हार मिली और टीम को दो मैचों का जीत का नशा जल्दी ही उतर गया, हालांकि कपिल देव ने इस मैच पांच विकेट हासिल किए और बॉलिंग युनिट के लिए इस मैच में काफी कुछ सीखने को था. ऑस्ट्रेलिया के भारी भरकम 321 रनों का पीछा टीम इंडिया नहीं कर पाई और 162 रनों के बड़े अंतर से टीम को इस विश्वकप की पहली हार का सामना करना पड़ा.
- चौथा मुकाबला भारत vs वेस्टइंडीज
15 जून को लंदन में वेस्टइंडीज के साथ भारत को एक बार फिर खेलना था. वेस्टइंडीज इस बार अपनी पिछली हार का बदला लेने के लिए बिल्कुल आतुर दिखाई दे रही थी. वेस्टइंडीज ने पहले बल्लेबाजी करते हुए अपने निर्धारित 60 ओवरों में 289 रन बनाए. ऐसा भी नहीं था कि भारत ने इस मैच में हथियार पहले ही डाल दिए हो भारत ने इस मैच में फाइट की, लेकिन अंत में 66 रनों से ये मैच भी टीम इंडिया हार गई. इस मैच में रोजर बिन्नी ने शानदार गेंदबाजी की और 3 विकेट हासिल किए. मोहिंदर अमरनाथ ने बल्लेबाजी में शानदर प्रदर्शन किया लेकिन वे टीम को जीत नहीं दिला सके और 80 रन बनाकर आउट हुए.
- पांचवां मुकाबला भारत vs जिम्बाब्वे