मुम्बई: अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 17 साल बिताने के बाद भारतीय क्रिकेट के बेहतरीन हरफनमौला खिलाड़ियों में से एक युवराज सिंह ने क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास की घोषणा कर दी.
युवराज ने संवाददाता सम्मेलन में अपने भावनात्मक सम्भाषण में कहा कि उनके पास आज जो कुछ है, क्रिकेट ने दिया है और क्रिकेट ही वह वजह है, जिसके कारण वह आज यहां बैठे हैं.
युवराज ने कहा, "मैं बता नहीं सकता कि क्रिकेट ने मुझे क्या और कितना दिया है. मैं यहां बताना चाहता हूं कि मेरे पास आज जो कुछ है, क्रिकेट ने दिया है. क्रिकेट ही वह वजह है, जिसके कारण मैं आज यहां बैठा हूं. "
भारत ने जब साल 2011 में महेंद्र सिंह धोनी के नेतृत्व में दूसरी बार आईसीसी विश्व कप जीता था, तब 37 साल के युवराज एक लड़ाके के रूप में सामने आए थे. युवराज ने उस विश्व कप में 362 रन (एक शतक और चार अर्धशतक) बनाने के अलावा 15 विकेट भी हासिल किए थे और चार बार मैन ऑफ द मैच के अलावा प्लेअर ऑफ द टूर्नामेंट चुने गए थे.
युवराज के लिए वह विश्व कप खास था क्योंकि जब भारत ने पहली बार विश्व कप जीता था, तब उनका जन्म भी नहीं हुआ था और जब वह विश्व चैम्पियन बने तो उन्होंने अपने नाम एक अनोखा रिकार्ड जोड़ लिया। युवराज पहले ऐसे ऑलराउंडर हैं, जिन्होंने किसी विश्व कप में 300 से अधिक रन बनाने के अलावा 15 विकेट भी हासिल किए हों.
अपनी उस सफलता को याद करते हुए युवराज ने कहा, "2011 विश्व कप जीता, चार बार मैन आफ द मैच और मैन आफ द टूर्नामेंट बनना मेरे लिए किसी सपने के सच जैसा होना था. इसके बाद मुझे पता चला कि मैं कैंसर से पीड़ित हूं. उस सच को मैंने आत्मसात किया. जब मैं अपने करियर के सर्वोच्च मुकाम पर था, तभी यह सब हुआ."
कैसर के समय परिवार और दोस्तों ने दिया साथ
युवराज ने कहा, "इस दौरान मेरे परिवार और दोस्तों ने मेरा खूब साथ दिया. मैं उनके सहयोग को बयां नहीं कर सकता। बीसीसीआई और उसके अध्यक्ष एन. श्रीनिवासन ने मेरे इलाज के दौरान काफी साथ दिया था।"
युवराज ने कैंसर पर विजय पाकर भारती टीम में वापसी की और फिर 2014 टी-20 विश्व कप में खेले। युवराज ने विश्व कप फाइनल में श्रीलंका के खिलाफ 21 गेंदों पर 11 रन बनाए और इसके बाद उनका करियर अवसान पर चला गया.
उस पल को याद करते हुए युवराज ने कहा, "वह मेरे करियर का सम्भवत: सबसे कठिन समय था. 2014 विश्व कप के फाइनल में मैंने 21 गेंदों पर 11 रन बनाने के लिए काफी मेहनत की थी। मेरे लिए वह काफी खराब समय था. मैंने मान लिया था कि यह मेरे करियर का अंतिम समय है. सबने मेरे बारे में यही लिखा लेकिन मैंने अपने ऊपर यकीन करना नहीं छोड़ा."
युवराज ने अपना अंतिम टेस्ट साल 2012 में खेला था. सीमित ओवरों के क्रिकेट में वह अंतिम बार 2017 में दिखे थे।.वराज ने साल 2000 में पहला वनडे, 2003 में पहला टेस्ट और 2007 में पहला टी-20 मैच खेला था.
चंडीगढ़ में साल 1981 में जन्में युवराज ने भारत के लिए 40 टेस्ट, 304 वनडे और 58 टी-20 मैच खेले। टेस्ट में युवराज ने तीन शतकों और 11 अर्धशतकों की मदद से कुल 1900 रन बनाए जबकि वनडे में उन्होंने 14 शतकों और 52 अर्धशतकों की मदद से 8701 रन जुटाए.
युवराज सिंह का करियर
इसी तरह टी-20 मैचों में युवराज ने कुल 1177 रन बनाए. इसमें आठ अर्धशतक शामिल हैं। युवराज ने टेस्ट मैचों में 9, वनडे में 111 और टी-20 मैचो में 28 विकेट भी लिए हैं। युवराज ने 2008 के बाद कुल 231 टी-20 मैच खेले हैं और 4857 रन बनाए हैं। उन्होंने टी-20 मैचों में 80 विकेट भी लिए हैं.
युवराज खुद को भाग्यशाली मानते हैं कि उन्हें भारत के लिए 400 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय मैच खेलने का मौका मिला। युवराज ने कहा, "भारत के लिए 400 से अधिक मैच खेलते हुए मैं खुद को सौभाग्यशाली मानता हूं। इस सफर के दौरान मुझे 2002 की नेटवेस्ट ट्रॉफी फाइनल की अपनी पारी, 2004 में लाहौर में पहला टेस्ट शतक, 2007 में इंग्लैंड में वनडे सीरीज, 2007 में टी-20 विश्व कप में एक ओवर में छह छक्के और 2011 विश्व कप जीतना कभी नहीं भूलेगा। मेरे जेहन से 2007 विश्व कप (50 ओवर) की खराब याद भी नहीं जाती।"
अंत में युवराज ने अपने इस शानदार सफर के लिए परिवार और खासकर मां का धन्यवाद दिया. युवराज ने कहा, "मैं अपने परिवार, खासतौर पर मां का धन्यवाद करना चाहूंगा, जो आज मेरे साथ यहां मौजूद हैं. मेरी मां हमेशा से मेरे लिए शक्ति का स्रोत रही है और इन्होंने मुझे दो बार जन्म दिया है। मेरी पत्नी ने कठिन समय में मेरा साथ दिया है। मेरे करीबी दोस्त, जो मेरे कारण बीमार पड़ जाते थे, लेकिन इसके बावजूद हमेशा मेरे साथ खड़े रहे। मैं जिन लोगों से प्यार करता हूं, आज वे सब मेरे साथ हैं, सिवाय मेरे पिता के। इसलिए मेरे लिहाज से यह आगे बढ़ने का सबसे अच्छा समय है."