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U19 WC 2020: चैंपियन बनने से एक कदम दूर टीम इंडिया, जानिए इन खिलाड़ियों के संघर्ष की कहानी

भारतीय टीम आज अंडर19 वर्ल्डकप के फाइनल में बांग्लादेश से भिड़ेगी. इंडियन टीम को फाइनल तक पहुंचाने में इन युवा खिलाड़ियों ने कड़ी मेहनत की है. साथ ही इनकी जिंदगी भी संघर्षों से भरी रही है. आइए नजर डालते हैं इन खिलाड़ियों पर.

WCU19
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Published : Feb 9, 2020, 7:35 AM IST

Updated : Feb 29, 2020, 5:17 PM IST

हैदराबाद:भारतीय अंडर 19 क्रिकेट टीम ने अपने दमदार प्रदर्शन के दम पर विश्वकप 2020 के फाइनल में जगह बना ली है. सेमीफाइनल में अपने चिर प्रतिद्वंदी पाकिस्तान को 10 विकेट से मात देकर भारत ने सातवीं बार फाइनल में प्रवेश किया है.

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अब इस युवा टीम का सामना रविवार को बांग्लादेश के खिलाफ फाइनल में होगा. यदि भारतीय टीम इस मुकाबले को जीत लेती है तो ये टीम का 5वां विश्वकप खिताब होगा. भारत का इस विश्वकप में सफर शानदार रहा. इस प्रदर्शन को शानदार बनाने में भारतीय टीम के युवा खिलाड़ियों ने काफी मेहनत की.

इस विश्वकप की प्रबल दावेदार मानी जा रही भारतीय टीम में कई ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने अपनी जिंदगी में कई मुश्किल पड़ावों को पार कर इस टीम में जगह बनाई. जिनमें यशस्वी जायसवाल से लेकर कप्तान प्रियम गर्ग का नाम है.

1. यशस्वी जायसवाल

उत्तर प्रदेश के भदोही के रहने वाले यशस्वी जायसवाल का एक वक्त था जब वे अपना घर छोड़कर मुंबई आ गए. यहां आकर भी उनकी मुश्किलें कम नहीं थी. पैसों की बहुत कमी थी जिसके चलते गोलगप्पे तक बेचने पड़े. लेकिन इस युवा खिलाड़ी ने कभी हार नहीं मानी अपनी कड़ी मेहनत से भारतीय अंडर 19 टीम में जगह बनाई.

यशस्वी जायसवाल

साथ ही उनका प्रदर्शन अभी तक विश्व कप में बेहद शानदार रहा है. उन्होंने इस साल वर्ल्डकप में 5 मैचों में 156.00 की औसत से 312 रन बनाए है. यशस्वी इस विश्वकप में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज भी है. यशस्वी ने पाकिस्तान के खिलाफ सेमीफाइनल में शतक भी जड़ा था.

2. प्रियम गर्ग

मेरठ के रहने वाले भारतीय अंडर 19 टीम के कप्तान प्रियम गर्ग के करियर का सफर भी संघर्षों से भरा रहा है. उनके सपने को पूरा करने में उनके पिता ने बहुत मेहनत की है. घर के आर्थिक रूप से संभालने के लिए उनके पिता ने दूध, अखबार बेचकर अपने बेटे के सपने को पूरा करने में जी जान लगा दी.

प्रियम गर्ग

साथ ही पिता ने अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से उधार लेकर बेटे को क्रिकेट किट दिलाई और कोचिंग का इंतजाम किया. लेकिन प्रियम ने भी अपने पिता के भरोसे को कायम रखा और आज वे भारतीय टीम की कप्तानी की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं.

3. रवि बिश्नोई

जोधपुर के लेग स्पिनर रवि बिश्नोई के पिता मांगीलाल शिक्षक हैं. रवि का मन पढ़ाई में नहीं क्रिकेट में लगा. 12वीं पास रवि आठ साल पहले जोधपुर में स्पार्टन क्रिकेट अकादमी में तेज गेंदबाज बनने पहुंचे थे. वहां के कोच प्रत्युश और शाहरुख ने उन्हें स्पिनर बनने के लिए प्रेरित किया.

रवि बिश्नोई

पूरा दिन क्रिकेट मैदान पर ही गुजारने वाले रवि से पिता नाराज रहते, लेकिन वे अपने फैसले पर अडिग रहे. इस विश्वकप में रवि ने 13 विकेट पांच मैचों में 11.61 की औसत से चटकाए हैं. वे सर्वाधिक विकेट लेने में चौथे नंबर पर हैं.

4. अथर्व अंकोलेकर

मुंबई के ऑलराउंडर अथर्व अंकोलेकर का परिवार काफी गरीब है. उनकी मां वैदेही ने बताया, अथर्व जब नौ साल का था, तब उसके पिता की मृत्यु हो गई थी. मैंने मुंबई की बसों में कंडक्टरी करके उसे पाला पोसा. वे काफी कठिन दौर था. मैं उसे मैदान पर ले जाती.

अथर्व अंकोलेकर

दूसरे बच्चे अभ्यास के बाद जूस पीते या अच्छी चीजें खाते. पर मैं उसे कभी ये सब नहीं दे पाई. वे शिकायत नहीं करता था और भात खाकर ही खुश हो जाता था.

Last Updated : Feb 29, 2020, 5:17 PM IST

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