मेलबर्न: ऑस्ट्रेलिया के टेस्ट कप्तान टिम पेन ने बताया कि 2010 में करियर प्रभावित करने वाली चोट ने उन्हें इतना परेशान कर दिया कि वह क्रिकेट से नफरत करने लगे थे और रोने लगे थे.
उन्होंने कहा कि खेल मनोवैज्ञानिक की मदद से उन्हें इससे छुटकारा मिला. दक्षिण अफ्रीका में गेंद से छेड़छाड़ प्रकरण के बाद स्टीव स्मिथ की जगह टेस्ट टीम के कप्तान बनाए गए पेन को 2010 में यह चोट एक चैरिटी मैच में लगी थी.
डर्क नानेस की गेंद पर उनके दाएं हाथ की अंगुली टूट गयी थी. चोट से उबरने के लिए पेन को सात बार सर्जरी करनी पड़ी जिसमें उन्हें आठ पिन, धातु की एक प्लेट और कूल्हे की हड्डी के एक टुकड़े का सहारा लेना पड़ा था. इसके कारण वह दो सत्र तक क्रिकेट से दूर रहे.
पेन ने कहा, "जब मैंने फिर से खेलना और प्रशिक्षण शुरू किया तो मैं बहुत बुरा नहीं कर रहा था. जब मैंने तेज गेंदबाजों का सामना करना शुरु किया तब मेरा ध्यान गेंद को मारने से ज्यादा अंगुली को बचाने पर रहता था. जब गेंदबाज रनअप शुरू करते थे तब मैं प्रार्थना करता था, ईसा मसीह (जीसस क्राइस्ट) मुझे उम्मीद है कि वह मुझे अंगुली पर नहीं मारेंगे."
उन्होंने कहा, "यहां से मेरे खेल में गिरावट आने लगी. मैंने बिल्कुल आत्मविश्वास खो दिया था. मैंने इसके बारे में किसी को नहीं बताया. सच्चाई यह है कि मैं चोटिल होने से डर रहा था और मुझे नहीं पता था कि मैं क्या करने जा रहा हूं."
पैंतीस साल के इस विकेटकीपर बल्लेबाज ने कहा कि इस संघर्ष ने उनके निजी जीवन को भी प्रभावित किया.