हैदराबाद : दिग्गज सचिन तेंदुलकर ने खुलासा किया है कि वह खुद थे, जिसने तत्कालीन भारतीय कप्तान एमएस धोनी को आईसीसी क्रिकेट विश्व कप 2011 के फाइनल में युवराज सिंह से पहले धोनी को बल्लेबाजी के लिए भेजने की रणनीति बनाई थी. जिससे श्रीलंका के खिलाफ खेले जा रहे फाइनल मैच में उस समय दाएं और बाएं हाथ का सही संयोजन बना रहे.
धोनी स्थिति को संभाल सकते थे
एक प्रमुख चैनल के कार्यक्रम के दौरान सचिन तेंदुलकर और वीरेंद्र सहवाग ने विश्वकप की उन घटनाओं के बारे में बताया जब विराट कोहली के आउट होने के बाद एमएस धोनी मैदान पर बल्लेबाजी के लिए भेजे गए थे. तेंदुलकर ने कहा कि गौतम (गंभीर) शानदार बल्लेबाजी कर रहे थे और धोनी उस समय अच्छे तरीके से स्ट्राइक रोटेट कर सकते थे.
सचिन ने सहवाग से कहा
तेंदुलकर ने कहा, '' मैंने वीरू से कहा, तू ओवर्स के बीच में सिर्फ ये बात बाहर जाकर धोनी को बोल और अगला ओवर शुरू होने से पहले वापस आ जा. मैं यहां से नहीं हिलने वाला.''
तेंदुलकर ने पहले ही सहवाग को ड्रेसिंग रूम में उनके साथ बैठने और बालकनी से बाहर न जाने के लिए कहा था. जब ये दोनों फाइनल में जल्द पवेलियन लौट गए थे. मैं आउट होने के बाद ड्रेसिंग रुम में आया और अपनी सीट पर बैठ गया.
सचिन के साथ बैठे रहे सहवाग
उन्होंने कहा, ''ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ क्वार्टर फाइनल के दौरान हमारी (सचिन और सहवाग ) साझेदारी के बाद मैं ड्रेसिंग रूम में लौट आया था और फिजियो की टेबल पर लेट गया था. वीरू मेरे बगल में था. हम उस जगह से नहीं हटे थे. इस बार भी (वानखेड़े में), संयोग से, वीरू वहीं हुआ और मैंने उसे अपने बगल में बैठने और हिलने के लिए नहीं कहा.''
फाइनल में छक्का लगाते हुए धोनी सभी ने जताई अपनी सहमति
सहवाग ने कहा कि जैसे ही सचिन ने अपनी बात पूरी की. धोनी खुद ड्रेसिंग रुम में आए. मैंने एमएस से इस रणनीति पर विचार करने के लिए कहा. उसके बाद वो उस समय कोच रहे गैरी कस्टर्न के पास गया जोकि बाहर बैठे हुए थे. फिर उसके गैरी वापस आए और हम चारों ने मिलकर बात की. जिसके बाद सब सहमत हो गए थे और धोनी बल्लेबाजी के लिए उतरे थे.
ये कदम ऐसा निकला जिसने भारत को मैच जीतने में बड़ी भूमिका निभाई. गंभीर शतक से तीन रन चूक गए. जिसके बाद धोनी एक छोर पर टिके रहे और युवराज ने उनका साथ दिया. इस जोड़ी ने 54 रन की साझेदारी की. धोनी ने 79 गेंदों में 91 रनों की नाबाद पारी खेली.