नई दिल्ली : भारतीय बल्लेबाज शुभमन गिल की पहली टेस्ट सीरीज एक सपने की शुरुआत थी और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चौथे टेस्ट की दूसरी पारी में उनकी वीरता ने भारत को एक यादगार जीत दिलाई. इसमें कोई संदेह नहीं था कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चुनौती मुश्किल होने वाली थी लेकिन युवा खिलाड़ी ने शैली में प्रदर्शन किया. गिल ने स्वीकार किया कि वो बाउंसरों से घबराते थे, लेकिन उन्होंने बहुत तैयारी की और अब वे जो शॉट प्रैक्टिस करते थे और अब वे उसी का हिस्सा बन गए.
गिल ने कहा, "जब मैं छोटा था, तो मुझे बाउंसरों से डर लगता था. मैं पहले से ही सीने तक आने वाली गेंदों के लिए तैयार रहता था. मैं ड्राइव बहुत अभ्यास करता था इसलिए मैं स्ट्रेट बैट से पुल शॉट खेलने में परिपक्व हो गया. मैंने एक और शॉट भी विकसित किया, जहां मैं पीछे हटकर कट खेलता हूं. मुझे शॉर्ट डिलीवरी से डर लगता था इसलिए मैं हमेशा कट शॉट खेलने के लिए गेंद की लाइन से दूर होना चाहता था. ये दो-तीन शॉट हैं जो मुझे बचपन में पसंद थे और अब मेरी जिंदगी का एक हिस्सा बन गए हैं."
गिल ने आगे कहा, "जब आप गेंद को खेलते रहते हैं तो आपका डर खत्म हो जाता है. आप केवल तब तक डरते हैं जब तक आपको झटका नहीं मिलता लेकिन एक बार जब आप टिक जाते हो तो आपको ऐसा लगता है कि यह बहुत सामान्य था. फिर आप डर को पूरी तरह से खत्म कर देते हो. मैं 9 साल का था जब मुझे एक उच्च आयु वर्ग के मैच में खेलने के लिए कहा गया था. हमारी अकादमी में एक गेंदबाज था जो वास्तव में तेज था. मैं उसके खिलाफ बल्लेबाजी कर रहा था और डर रहा था कि मुझे शुरू करने के लिए बाउंसर मिलेगा. इसलिए मैंने पहले से तय कर लिया था कि मैं इसे डक कर दूंगा."