ब्रिसबेन: मुंबई की भाषा में उन्हें 'खडूस' कहा जाता है यानी वह आम तौर पर अपने जज्बात जाहिर नहीं करते लेकिन भारत की युवा टीम की ऑस्ट्रेलिया पर शानदार जीत के बाद रवि शास्त्री भी अपने आंसुओं पर काबू नहीं रख सके.
भारत की अंडर 25 टीम के 22 वर्षीय कप्तान के रूप में 1984 में शास्त्री ने टीम मैनेजर को मोहम्मद अजहरूद्दीन को उनके दादा की सेहत नासाज होने के बारे में बताने नहीं दिया था क्योंकि अजहर उस समय भारतीय टीम में जगह बनाने की दहलीज पर थे और शास्त्री नहीं चाहते थे कि मैच छोड़कर वह यह मौका गंवाए.
वही शास्त्री गाबा का किला फतह होने के बाद हाथ में तिरंगा लेकर मैदान का चक्कर लगाते ऋषभ पंत, मोहम्मद सिराज और शारदुल ठाकुर को देखकर भावुक हो गए.
शास्त्री ने कहा, "मैं भावुक हो गया. आम तौर पर मेरी आंख में आंसू नहीं आते लेकिन मैं भी भावुक हो गया."