दिल्ली

delhi

ETV Bharat / sports

गांगुली की 'दादागिरी' से क्या BCCI का रुतबा वापिस आ आएगा ? - गांगुली समाचार

भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली बुधवार से बीसीसीआई के अध्यक्ष का कार्यभार संभाल लिया है. ये पहली बार है जब भारतीय क्रिकेट की कमान एक क्रिकेटर के हाथ में होगी.

GANGULY

By

Published : Oct 23, 2019, 11:06 AM IST

Updated : Oct 23, 2019, 12:13 PM IST

हैदराबाद : सौरव गांगुली आज से बीसीसीआई के अध्यक्ष का कार्यभार संभाल लिया है. गांगुली बीसीसीआई के 39वें अध्यक्ष बने हैं.

गांगुली का बीसीसीआई अध्यक्ष बनने से क्रिकेट जगत में एक सकारात्मक संदेश के रूप में देखा जा रहा है. काफी समय बाद पहली बार भारतीय क्रिकेट की कमान एक क्रिकेटर के हाथ में होगी.

बीसीसीआई की हालत सुधारेंगे गांगुली

गांगुली को दादा भी कहा जाता है. टीम इंडिया के इस दादा ने वर्ल्ड क्रिकेट में अपनी दादागीरी भी दिखाई. भारतीय क्रिकेट को नई ऊंचाइयों में पहुंचाने वाले इस 'बंगाल टाइगर' का क्रिकेट करियर काफी अनोखा रहा है. मैच फिक्सिंग के दौर के बाद जब काफी समय तक टीम इंडिया की हालत खराब रही तब उन्होंने भारतीय टीम को जीतना ही नहीं, बल्कि विदेश में लड़ना भी सिखाया. कुछ ऐसी ही हालत वर्तमान बीसीसीआई की है.

सौरव गांगुली

पिछले कुछ सालों में बीसीसीआई की हालत पुरानी टीम इंडिया की तरह हो गई है. जैसे पुरानी भारतीय टीम विदेश में जाकर सकुचा जाती थी, वैसे ही वर्तमान बीसीसीआई की हालत अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आइसीसी) के सामने है. जगमोहन डालमिया, शरद पवार और एन. श्रीनिवासन ने बीसीसीआइ का जो रुतबा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बनाया था अब वह खत्म होता जा रहा है. दादा को उस रुतबे को वापस लाना है और वह ऐसा कर भी सकते हैं क्योंकि उनमें वह माद्दा है.

सबको साथ लेकर चलने का हुनर

गांगुली को टीम बनाना और फिर उसे साथ लेकर चलने का हुनर आता है.गांगुली के साथ खेलने वाले खिलाड़ियों ने हमेशा गांगुली की कप्तानी की तारीफ ही की है. यहां तक कि पाकिस्तानी दिग्गज शोएब अख्तर, वकार युनिस और सकलैन मुश्ताक जैसे पूर्व खिलाड़ी भी मानते हैं कि भारतीय क्रिकेट को नया रंग-रूप देने में गांगुली की अहम भूमिका रही है.

लीडरशिप में माहिर

दादा की लीडरशिप क्षमता दूरदर्शी होने के साथ अड़ियल भी है. जब टीम को आगे ले जाने की बात हो तो वह किसी की भी नहीं सुनते. उन्होंने कप्तान रहते हुए मध्य क्रम के बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग को ओपनिंग पर उतारा था और दिग्गज बल्लेबाज राहुल द्रविड़ को वनडे टीम में बरकरार रखने के लिए कीपिंग ग्लव्स पकड़ा दिए थे. उनके इन फैसलों की आलोचना भी हुई, लेकिन वह अड़े रहे और बाद में वह सही साबित हुए. बीसीसीआई अध्यक्ष के रुप में गांगुली से ऐसे ही कई फैसलों की उम्मीद होगी.

सौरव गांगुली

हितों के टकराव के नियम में लाना चाहेंगे बदलाव

हितों के टकराव के नियम को भी बदलने की जिम्मेदारी गांगुली पर होगी क्योंकि पूर्व क्रिकेटर रहते हुए उन्हें भी इससे दो-चार होना पड़ा था. इसके कारण उन्हें ही नहीं, सचिन तेंदुलकर और वीवीएस लक्ष्मण को बीसीसीआई की क्रिकेट सलाहकार समिति से हटना पड़ा था. ऐसे में भविष्य में कोच या अन्य किसी महत्वपूर्ण पद के लिए चुनाव करने के लिए बीसीसीआई को सीएसी की जरूरत जरूर पड़ेगी ऐसे में गांगुली इस पर भी कोई अहम फैसला कर सकते हैं.

10 महीने में ही करने होंगे कई बदलाव

गांगुली के पास सिर्फ 10 महीने का वक्त है. इतने कम वक्त में उनसे कोई चमत्कार की उम्मीद नहीं की जा सकती. इतने वक्त में वह चीजों को समझना और उसे बदलना शुरू ही कर पाएंगे, हालांकि उन्होंने पद संभालने से पहले ही अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं. गांगुली ने साफ कर दिया है कि उनका मुख्य ध्यान घरेलू क्रिकेट और क्रिकेटरों पर होगा.

Last Updated : Oct 23, 2019, 12:13 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details