हैदराबाद: गांगुली का बीसीसीआई अध्यक्ष बनने से क्रिकेट जगत में एक सकारात्मक संदेश के रूप में देखा जा रहा है. काफी समय बाद पहली बार भारतीय क्रिकेट की कमान एक क्रिकेटर के हाथ में होगी.
बीसीसीआई की हालत सुधारेंगे गांगुली
गांगुली को दादा भी कहा जाता है. टीम इंडिया के इस दादा ने वर्ल्ड क्रिकेट में अपनी दादागीरी भी दिखाई. भारतीय क्रिकेट को नई ऊंचाइयों में पहुंचाने वाले इस 'बंगाल टाइगर' का क्रिकेट करियर काफी अनोखा रहा है. मैच फिक्सिंग के दौर के बाद जब काफी समय तक टीम इंडिया की हालत खराब रही तब उन्होंने भारतीय टीम को जीतना ही नहीं, बल्कि विदेश में लड़ना भी सिखाया. कुछ ऐसी ही हालत वर्तमान बीसीसीआई की है.
पिछले कुछ सालों में बीसीसीआई की हालत पुरानी टीम इंडिया की तरह हो गई है. जैसे पुरानी भारतीय टीम विदेश में जाकर सकुचा जाती थी, वैसे ही वर्तमान बीसीसीआई की हालत अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आइसीसी) के सामने है. जगमोहन डालमिया, शरद पवार और एन. श्रीनिवासन ने बीसीसीआइ का जो रुतबा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बनाया था अब वह खत्म होता जा रहा है. दादा को उस रुतबे को वापस लाना है और वह ऐसा कर भी सकते हैं क्योंकि उनमें वह माद्दा है.
सबको साथ लेकर चलने का हुनर
गांगुली को टीम बनाना और फिर उसे साथ लेकर चलने का हुनर आता है. गांगुली के साथ खेलने वाले खिलाड़ियों ने हमेशा गांगुली की कप्तानी की तारीफ ही की है. यहां तक कि पाकिस्तानी दिग्गज शोएब अख्तर, वकार युनिस और सकलैन मुश्ताक जैसे पूर्व खिलाड़ी भी मानते हैं कि भारतीय क्रिकेट को नया रंग-रूप देने में गांगुली की अहम भूमिका रही है.