रांची: भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का जन्म 7 जुलाई 1981 को एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ. माही यूं ही महेंद्र सिंह धोनी नहीं बने. महेंद्र सिंह धोनी ने हर उस परेशानी को झेला है जो एक लोअर मिडल क्लास के घर का लड़का झेलता है. वो चाहे स्कूल फीस के लिए क्लास में खड़ा करवाने की बात हो, या फिर नई शर्ट लेने की जिद पूरी होने में 10 दिन का समय लगना हो. आज पान सिंह धोनी और देवकी देवी के बेटे महेंद्र सिंह धोनी का जन्मदिन है. भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी अपना 39वां जन्मदिवस मना रहे हैं.
7 नंबर माही के लिए है लकी
नंबर 7, महेंद्र सिंह धोनी का लकी नंबर है और उनका जन्मदिन भी 7 जुलाई को ही है और ये दिन महेंद्र सिंह धोनी के फैंस के लिए भी काफी खास है. एमएस धोनी क्रिकेट जगत का वो नाम है, जिसे कोई भूल नहीं सकता. सब कुछ कर गुजरने का जोश और जज्बा हो, आत्मविश्वास सातवें आसमान पर हो तो कुछ भी किया जा सकता है. महेंद्र सिंह धोनी ऐसे ही भारतीय क्रिकेट टीम के सफल कप्तान नहीं बने. एक छोटे शहर से गली-मुहल्लों में क्रिकेट खेलकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंच जाना इतना आसान नहीं है. माही से महेंद्र सिंह धोनी का सफर तय करने में उन्होंने कड़ी मेहनत की. मैदान में धोनी के हर फैसले को हर क्रिकेटर और क्रिकेट प्रेमियों ने सराहा है. 'केप्टन कुल' के नाम से नवाजे गए महेंद्र सिंह धोनी ने E-25 क्वार्टर से निकलकर आज सिमलिया स्थित कई एकड़ में बसे फार्म हाउस तक का सफर तय किया है.
7 जुलाई को हुआ था माही का जन्म
7 जुलाई 1981 को रांची में जन्मे महेंद्र सिंह धोनी ने हर उस परेशानी को झेला है, जो एक मिडिल क्लास के घर का बच्चा झेलता है. उत्तराखंड से आकर रांची में बसे उनके पिता पान सिंह की कमाई बस इतनी ही थी कि वह 5 सदस्यीय परिवार को चला सके और यह जितना आसान रील लाइफ में देख कर लगता है वह रियल लाइफ में नहीं है. महेंद्र सिंह धोनी अपने दम पर अपने प्रदर्शन के बदौलत विश्व के शिखर तक पहुंचे हैं और आज अंतरराष्ट्रीय पटल पर उनके नाम का डंका बजता है.
महेंद्र सिंह धोनी फुटबॉलर से बने क्रिकेटर
कभी पीछे मुड़कर नहीं देखने वाले माही ने अपने जीवन में खेल की शुरुआत स्कूल टीम के साथ की थी. फुटबॉल के गोलकीपर महेंद्र सिंह धोनी कब क्रिकेट के बेहतरीन विकेटकीपर बन गए यह उनके स्कूल टाइम के कोच ही जानते हैं. वहीं उनके जानने वाले और 1996 से लेकर 2004 तक कोच रहे चंचल भट्टाचार्य भी उनके सभी खूबियों को बखूबी जानते हैं. मेकॉन स्थित H-122 क्वार्टर में सबसे पहले महेंद्र सिंह धोनी अपने पूरे परिवार के साथ रहने आए थे. हालांकि इस क्वार्टर में ज्यादा दिनों तक वो नहीं रहे. वो बहुत जल्द ही E-25 में शिफ्ट हो गए. इसी क्वार्टर से उनका क्रिकेट का सफर शुरू हुआ था.
23 दिसंबर 2004 को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में रखा कदम
डीएवी श्यामली स्कूल ग्राउंड से शुरू होकर मेकॉन स्टेडियम, हरमू मैदान और झारखंड के सभी मैदानों में गली-कूचों में खेल चुके महेंद्र सिंह धोनी का इंटरनेशनल क्रिकेट में 23 दिसंबर 2004 को पदार्पण हुआ. उन्होंने 2004 में बांग्लादेश के विरुद्ध वनडे मैच खेला था. वहीं T20 में उनका पदार्पण 1 दिसंबर 2006 में हआ था. दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध उस मैच में धोनी खेले थे. जैसे-जैसे महेंद्र सिंह धोनी क्रिकेट में सफल होते गए उनका क्रिकेट करियर का ग्राफ भी परवान चढ़ता गया और फिर महेंद्र सिंह धोनी ने पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा. हर मैच और टूर्नामेंट को जितना माही का लक्ष्य था. स्कूल टाइम से ही महेंद्र सिंह धोनी को जीत की लालच थी, चाहे वह सपाट मैदान हो, स्टेडियम हो, या फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर के स्टेडियम. एक के बाद एक टूर्नामेंट और मैच को जितना महेंद्र सिंह धोनी का लक्ष्य बनता गया और लक ने भी हमेशा उनका साथ दिया.
माही को लेफ्टिनेंट कर्नल की उपाधि
महेंद्र सिंह धोनी मानद लेफ्टिनेंट कर्नल की उपाधि भी प्राप्त कर चुके हैं. पद्म भूषण, पद्म श्री, राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से भी माही सम्मानित हो चुके हैं. भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और भारत के सबसे सफल एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय कप्तान रह चुके धोनी भारतीय एकदिवसीय टीम के सबसे कुल कप्तानों में से जाने जाते हैं. महेंद्र सिंह धोनी की बैडमिंटन और फुटबॉल में भी रुचि थी. महेंद्र सिंह धोनी ने डीएवी श्यामली से पढ़ाई की है. जो वर्तमान में जवाहर विद्या मंदिर के से नाम से जाना जाता है. माही ने इंटर स्कूल प्रतियोगिता में बैडमिंटन और फुटबॉल में स्कूल का प्रतिनिधित्व भी किया था, जहां उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया था. इस कारण वे जिला और क्लब लेवल में चुने गए थे.