नई दिल्ली: भारतीय टीम के पूर्व विकेटकीपर किरण मोरे ने कहा है 1989 में भारत और पाकिस्तान सीरीज में बॉल टेम्परिंग आम बात थी. उन्होंने कहा कि हालांकि किसी भी टीम ने दूसरी टीम की शिकायत नहीं की क्योंकि उस समय ऐसे मामलों में सजा का कोई प्रावधान नहीं था.
मोरे ने 'ग्रेटेस्ट राइवलरी पोडकास्ट' में कहा, "उन दिनों गेंद से छेड़छाड़ की मंजूरी थी, इसलिए आपको रिवर्स स्विंग मिलती थी. ऐसा था कि दोनों टीमें एक दूसरे की शिकायत नहीं कर करती थीं. हर कोई गेंद को रकड़ता था और रिवर्स स्विंग कराता था. बल्लेबाजी करना मुश्किल होता था."
1989 भारत-पाकिस्तान सीरीज उन्होंने आगे कहा, ''मनोज प्रभाकर ने भी तभी गेंद से छेड़छाड़ करना सीखा. उस सीरीज के एक अंपायर जॉन होल्डर ने एक इंटरव्यू में दोनों टीमों के उस समय के कप्तान इमरान खान और क्रिस श्रीकांत से इस मुद्दे पर बात की थी, लेकिन उस बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला. तब इसके लिए बहुत ज्यादा सजा का प्रावधान नहीं था."
जॉन होल्डर पूर्व ब्रिटिश क्रिकेटर थे और 1988 में पहले टेस्ट में अंपायरिंग कर रहे थे. 2018 में होल्डर ने एक मिड डे अखबार से कहा था, ''उस समय यह लीगल था. हम कुछ नहीं कर सकते थे, हम पावरलेस थे क्योंकि ऐसा कोई कानून नहीं था, जिसे हम लागू कर सके. लेकिन बाद में कानून दोबारा बने और बॉल टेंपरिंग पर पेनल्टी रन दिए जाने लगे. उन्होंने बचे हुए मैच में गेंदबाजों को प्रतिबंधित भी करना शुरू कर दिया.''
बता दें कि ये वही सीरीज थी जिसमें पाकिस्तान के वकार यूनुस और भारत के सचिन तेंदुलकर ने अपना डेब्यू किया था.
साल 1989 में भारतीय टीम ने चार मैचों की टेस्ट और एकदिवसीय श्रृंखला के लिए पाकिस्तान का दौरा किया था. वकार यूनुस और सचिन तेंदुलकर के डेब्यू की वजह से ये सीरीज बहुत खास थी. हालांकि इस सीरीज के सभी चार टेस्ट मैच ड्रॉ रहे, भारत को 2-0 के स्कोर के साथ एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सीरीज में हार का सामना करना पड़ा.