हैदराबाद :6 जनवरी को कपिल देव 61 वर्ष के हो गए थे. कपिल देव की कप्तानी में भारत ने 1983 में अपना पहला विश्व कप जीता था और उनकी गिनती भारत के ऑलराउंडर्स में की जाती है. 1994 में क्रिकेट से संन्यास लेने वाले कपिल देव और उनके साथ खिलाड़ी सुनील गावस्कर को लेजेंड्री स्टेटस प्राप्त है, इन दोनों ने खेल जगत में भारत का सिर गर्व से ऊंचा किया था.
हालांकि गावस्कर में इतनी क्षमता थी कि वे घंटों बल्लेबाजी करते थे, उनकी तकनीक बेमिसाल थी. उन्होंने विव रिचर्ड्स की तरह कभी बल्लेबाजी नहीं की लेकिन दोनों खिलाड़ियों के चर्च बहुत होते थे. रिचर्ड्स की घातक बल्लेबाजी ने दुनियाभर के फैंस का ध्यान अपनी ओर खींचा था. भारत में गावस्कर काफी मशहूर हैं और लोग उनकी बहुत इज्जत करते हैं, घंटों तक लगातार बल्लेबाजी करने की उनकी क्षमता से लोगों का ध्यान उनकी ओंर खिंचा चला आता था.
1983 में, जब कपिल 25 वर्ष के थे तब उन्होंने देश के युवाओं को काफी प्रेरित किया था. टीम इंडिया ने क्रिकेट के मक्का, द लॉर्ड्स में 25 जून को विंडीज को हरा कर अपना पहला वनडे वर्ल्ड कप जीता था. इस जीत ने कपिल देव को बाकियों से अलग बना दिया था और उनको आइकॉनिक स्टेटस मिल गया.
कपिल देव देश के युवाओं के आइडल बन गए. स्पिनर्स की जमीं पर जन्में कपिल देव पहले तेज गेंदबाज थे जो अच्छी गति में गेंद डालते थे और विदेशी बल्लेबाजों को परेशान करने का दम रखते थे. बतौर बल्लेबाज भी वे बेहतरीन थे. कई मौके ऐसे आए जब उन्होंने बल्लेबाजी कर अकेले ही अपनी टीम को जीत दिलाई है.
अपने करियर के पीक पर वे पावर हिटिंग का दम रखते थे और दुनियाभर के बेस्ट बल्लेबाजों की पिटाई करते थे. पाकिस्तान के खिलाफ 19 साल की उम्र में उन्होंने डेब्यू किया था और अपने तीसरे टेस्ट मैच में ही 33 गेंदों पर अर्धशतक जमाया था. 1979 में 124 गेंदों पर 126 रन बनाए थे और सिल्वेस्टर क्लार्क, नॉरबर्ट फिलिप और वैनबर्न होल्डर के खिलाफ शानदार बल्लेबाजी की थी.
उनकी बल्लेबाजी भी काफी अच्छी थी, जरूरत पड़ने पर वे अच्छा स्कोर बनाते थे. उन्होंने कई बार भारत को फॉलो ऑन से बचाया है, हार के जबड़े से जीत छीनी है और विरोधी टीम के खिलाफ गगनचुंबी छक्के और चौकों की बरसात की है. लेकिन गेंदबाजी ही उनकी कमान में वो तीर था जिसकी बदौलत उन्होंने दुनियाभर में नाम बनाया और भारतीय टीम में योगदान दिया. भारत जैसे देश में, जहां एथलीट्स के लिए क्या अच्छा और क्या बुरा है, पता ही नहीं होता था, कपिल के साथ ऐसा वाक्या हुआ जो कोई सोच भी नहीं सकता.
कपिल देव का टेस्ट रिकॉर्ड कपिल की किशोरावस्था में मुंबई में ट्रेनिंग के बाद जब वे खाना खाने बैठे तब उन्होंने और रोटी मांगी लेकिन रोटी मिलने से उनको इनकार कर दिया गया और उनका मजाक उड़ाया गया. उनका कहा गया उनका देश से तेज गेंदबाज नहीं निकल सकते.
इन सब दिक्कतों का सामना करने के बाद भी उनका जोश कम नहीं हुआ और उन्होंने खुद को साबित किया और अपने समय के सर्वश्रेष्ठ हरफनमौला क्रिकेटर बने. टेस्ट क्रिकेट में आठ शतक जड़ने वाले कपिल ने उस दौर में खुद को साबित किया था जब सर्वकालिक हरफनमौला क्रिकेटर्स निकले थे. इस सूची में इयान बॉथम, इमरान खान और रिचर्ड हैडली का नाम है.
अपनी गति, कमाल की स्विंग और बल्लेबाज की बॉडी लैंगुएज को आंकने की क्षमता ही उनको सर्वकालिक महानतम गेंदबाज बनाती है और इसलिए उनको 'हरियाणा हरीकेन' कहा जाने लगा. 1994 से 2000 के बीच कपिल टेस्ट क्रिकेट में दुनिया के सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज रहे थे. तब उन्होंने 434 टेस्ट विकेट लिए थे. लेकिन वे भारत के सबसे ज्यादा टेस्ट विकेट लेने वाले गेंदबाज बने रहे. वनडे प्रारूप में उन्होंने 225 मैचों में 27.45 की एवरेज से 253 विकेट लिए थे जो अब तक किसी भी भारतीय गेंदबाज द्वारा लिए गए सीमित ओवर्स में सबसे ज्यादा रन हैं.