नई दिल्ली: रंगभेद दौर के साक्षी रहे अश्वेत अफ्रीकियों के जख्म भले ही नासूर बन चुके हों. लेकिन कगिसो रबाडा खुद को खुशकिस्मत मानते हैं कि वह इसके बाद के दौर में पैदा हुए. हालांकि उनके माता पिता ने काफी संघर्ष किया. रबाडा के पिता एमफो डॉक्टर थे और मां भी नौकरीपेशा थीं.
रबाडा ने मीडिया से कहा, "मैं खुशकिस्मत हूं कि मुझे मौके मिले और मैं अपनी प्रतिभा दिखा सका. कई बच्चों को उस तरह का सहयोग नहीं मिल सका."
उन्होंने कहा, 'मेरे माता पिता ने मेरे लिये काफी कुछ किया. रंगभेद के दौर में उनके लिए यह आसान नहीं था.'