नई दिल्ली: दो अप्रैल 2011 को श्रीलंका के खिलाफ खेले गए फाइनल में गंभीर भारतीय जीत के नायकों में शामिल थे और उन्होंने 97 रन की पारी खेली थी जिसके बाद तत्कालीन कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने नाबाद अर्धशतक जड़ते हुए छक्का लगाकर टीम को जीत दिलाई थी.
संसद सदस्य गंभीर ने एक समाचार एजेंसी को दिए विशेष साक्षात्कार में कहा, ''ऐसा नहीं लगता कि यह कल की बात है. कम से कम मेरे साथ ऐसा नहीं है. इसे अब 10 साल बीत चुके हैं। मैं ऐसा व्यक्ति नहीं हूं जो पीछे मुड़कर काफी अधिक देखता है. बेशक ये गौरवपूर्ण लम्हा था लेकिन अब भारतीय क्रिकेट के लिए आगे बढ़ने का समय है. संभवत: समय आ गया है कि हम जल्द से जल्द अगला विश्व कप जीतें.''
लेकिन कोई अपने क्रिकेट करियर के सबसे बड़े दिन को लेकर कैसे इतना उदासीन हो सकता है? सभी प्रारूपों में 242 मैचों में 10 हजार से अधिक अंतरराष्ट्रीय रन बनाने वाले गंभीर ने कहा, ''मैं ऐसा ही हूं.'' गंभीर का मानना है कि लोगों को अतीत की विश्व कप की जीतों को लेकर अधिक उत्सुक नहीं होना चाहिए क्योंकि टूर्नामेंट में हिस्सा लेने वाले खिलाड़ियों ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया और ऐसा उन्होंने अपनी पेशेवर जिम्मेदारी के तहत किया.
विश्व टी20 2007 फाइनल में भी भारत की जीत के दौरान शीर्ष स्कोरर रहे गंभीर ने कहा, ''2011 में हमने ऐसा कुछ नहीं किया जो हमें नहीं करना चाहिए था. हमें विश्व कप में खेलने के लिए चुना गया था, हमें विश्व कप जीतना था. जब हमें चुना गया तो हमें सिर्फ टूर्नामेंट में खेलने के लिए नहीं चुना गया, हम जीतने के लिए उतरे थे.''
उन्होंने कहा, ‘‘जहां तक मेरा सवाल है अब इस तरह की कोई भावना नहीं बची है. हमने कोई असाधारण काम नहीं किया, हां हमने देश को गौरवांवित किया, लोग खुश थे, यह अब अगले विश्व कप पर ध्यान लगाने का समय है.'' गंभीर को लगता है कि लगातार विश्व स्तरीय खिलाड़ी देने के बावजूद भारत को बड़ी प्रतियोगिताओं में सीमित सफलता मिलने का कारण शायद ‘पीछे मुड़कर’ देखना हो सकता है.