नई दिल्ली:IPL-13 में मंगलवार को चेन्नई सुपर किंग्स ने सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ 3 स्पिनर उतारे थे. इनमें से दो ने तीन अहम विकेट ले चेन्नई की जीत में अहम योगदान दिया था.
चेन्नई की अंतिम-11 में 3 स्पिनर- रवींद्र जडेजा, पीयूष चावला और कर्ण शर्मा का नाम शामिल किया जाना ये संकेत है कि स्पिनर और धीमी गति के गेंदबाज आगे जाकर टूर्नामेंट में अहम रोल निभाने वाले हैं.
मैच के बाद हैदराबाद के गेंदबाजी कोच मुथैया मुरलीधरन ने कहा था, "स्पिनर आगे जाकर अहम रोल निभाएंगे. विकेट टूट गई हैं. तीन पिचें (मैदान) है, इसलिए वो टूटेंगी."
चेन्नई और हैदराबाद का मैच लीग के दूसरे हाफ का पहला मैच था. अभी तक पहले हाफ में तेज गेंदबाजों का बोलबाला देखा गया था. सबसे ज्यादा विकेट लेने वालों गेंदबाजों की सूची में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलोर के युजवेंद्र चहल इकलौते स्पिनर हैं.
लेकिन चीजें बदल सकती हैं क्योंकि राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ बीती रात हुए मैच में दिल्ली कैपिटल्स के तेज गेंदबाज एनरिक नोर्खिया ने दुबई इंटरनेशनल स्टेडियम की पच पर IPL इतिहास की 3 सबसे तेज गेंदें फेंकी थीं.
तीन मैदान होने के चलते पिचों को टूटना आम बात है और ऐसे में दूसरी पिचों को रोटेट करना एक अहम चीज साबित हो सकता है.
भारत के कुछ पिच क्यूरेटरों ने एक मीडिया हाउस से कहा कि पिचें स्पिनरों की मददगार होंगी और इसका कारण सीमित मैदान और मौसम ही नहीं है लेकिन मैच ठीक से प्लान नहीं हैं ये भी कारण हैं.
शुरुआत में लगा था कि BCCI ने टूर्नामेंट अच्छे से प्लान किया है. उन्होंने शारजाह में सिर्फ 10 मैच रखे हैं. इस मैदान पर सिर्फ तीन पिच हैं. इसलिए उन पर ज्यादा दबाव नहीं होगा. अबू धाबी और दुबई में ज्यादा मैच खेले जाने हैं और यहां रोटेशन के लिए ज्यादा पिचें हैं.
एक क्यूरेटर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, "मैंने जो सुना है वो हो नहीं रहा है. वहां सीमित पिचें ही हैं- एक जगह तीन ज्यादा से ज्यादा, जिनका उपयोग किया जाता है."
दुबई में 24 मैच होने हैं जबकि अबू धाबी में 20.