हैदराबाद : भारतीय क्रिकेट टीम में महेंद्र सिंह धोनी ने पहली बार इशारा किया था कि उन्हें ड्रेसिंग रूम में एक ऐसा कोच चाहिए जो खिलाड़ियों के थोड़ा नजदीक हो, जो खिलाड़ियों को समझ सके. कुल मिलाकर वे किसी भारतीय कोच की तरफ इशारा कर रहे थे. नतीजा ये रहा कि अनिल कुबंले को टीम इंडिया का कोच नियुक्त किया गया. अगर पिछले कुछ सालों की बात करें तो भारतीय टीम के साथ ज्यादातर विदेशी कोच ही रहे हैं.
पहली सबसे सफल जोड़ी सौरव गांगुली और जॉन राइट की बनी
न्यूजीलैंड के पूर्व कप्तान जॉन राइट पहले पूर्णकालिक कोच थे जिन्हें बीसीसीआई ने राष्ट्रीय टीम के लिए नियुक्त किया था. राइट टीम में तब शामिल हुए जब भारतीय क्रिकेट अपने सबसे काले दौर से गुजर रहा था. सौरव गांगुली को मोहम्मद अजहरुद्दीन की जगह कप्तान बनाया गया था. अजहरुद्दीन, अजय जडेजा और मनोज प्रभाकर को मैच फिक्सिंग के आरोप में बैन झेलना पड़ा था. जॉन राइट के कार्यकाल में भारत ने 2001 में अपने घर पर एक ऐतिहासिक टेस्ट सीरीज़ में ऑस्ट्रेलिया को 2-1 से हराया और 2003 में विश्व कप के फाइनल में भी पहुंची.
'चैपल काल' शुरू हुआ
भारत के कोच के रूप में चैपल का कार्यकाल विवादों से भरा रहा. ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान ग्रेग चैपल भारतीय क्रिकेट इतिहास के सबसे विवादित कोच थे. 2005 के जिंबाब्वे दौरे के दौरान कोच के साथ सार्वजनिक झगड़े के बाद तो मामला बेहद ही खराब हो गया था. चैपल ने भारतीय टीम में कई बदलाव किए जिसका सीधा असर टीम के प्रदर्शन पर पड़ा. इसके बाद 2007 में भारत वेस्टइंडीज में हुए वर्ल्डकप में पहले ही दौर में बाहर हो गया और चैपल को कोच के पद से हटना पड़ा.
गैरी कर्स्टन भारत के सबसे सफल कोच रहे
ग्रेग चैपल के बाद दक्षिण अफ्रीका के पूर्व क्रिकेटर गैरी कर्स्टन ने मार्च 2008 में टीम इंडिया की कोचिंग का पद संभाला और भारतीय क्रिकेट टीम के सबसे सफल कोच बन गए. कर्स्टन ने पर्दे के पीछे से काम किया, सुर्खियों से बाहर रहे. उनके कार्यकाल के दौरान, भारत ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एक घरेलू श्रृंखला जीतकर उन्हें 2-0 से हराया. बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी जीतने के अलावा, उन्होंने भारत को श्रीलंका में अपनी पहली द्विपक्षीय श्रृंखला में जीत दिलाई.