हैदराबाद : भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच जारी टेस्ट मैच के सीरीज का चौथा मैच जब शुरू होने वाला था तो भारतीय टीम के सामने कई मुसीबतें सर उठाकर खड़ी थी. टीम के ज्यादातर अनुभवी खिलाड़ी चोटिल थे और ऐसे में टीम मैनेजमेंट के लिए सबसे बड़ी चुनौती थी प्लेइंग इलेवन चुनना.
इसके अलावा एक और चीज जो भारत को परेशान कर रही थी वो ये थी कि चौथा और निर्णायक टेस्ट मैच गाबा में खेला जाना है. इस मैदान का इतिहास काफी दिलचस्प है. एक ओर जहां कंगारू टीम ने गाबा में पिछले 33 सालों में एक भी मैच में हार नहीं झेली हैं, वहीं, भारत के लिए ये मैदान बुरे सपने की तरह है. यहां टीम एक भी मैच में जीत हासिल करने में नाकामयाब रही है.
ऐसे में अनुभवी खिलाड़ी की नामौजूदगी में नए खिलाड़ियों को मौका देना रिस्क लेने का काम था, लेकिन भारत के पास कोई और विकल्प नहीं था. ब्रिस्बेन टेस्ट में दो युवा खिलाड़ी (टी नटराजन और वॉशिंगटन सुंदर) को डेब्यू करने का मौका मिला.
इन दोनों ही खिलाड़ियों चयनकर्ताओं की उम्मीदों पर खड़े उतरे और अबतक जबरदस्त खेल दिखाया है. लेकिन सुंदर के लिए ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अहम मैच में किया गया डेब्यू 'ड्रीम डेब्यू' से कम नहीं था.