ब्रिस्बेन : सिडनी में हार की कगार पर पहुंचकर मैच बचाने वाली भारतीय टीम के सामने ऑस्ट्रेलिया की गाबा की जीवंत पिच पर चुनौती कड़ी होगी क्योंकि उसके शीर्ष खिलाड़ी चोटों के कारण निर्णायक टेस्ट खेलने के लिए उपलब्ध नहीं है. ऑस्ट्रेलिया को बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी जीतने के लिए जीत की जरूरत है लेकिन भारत का काम ड्रॉ से भी चल जाएगा.
सिडनी में दर्द के बावजूद अपार धैर्य और जुझारूपन का प्रदर्शन करने वाले रविचंद्रन अश्विन, हनुमा विहारी और ऋषभ पंत ने लाखों क्रिकेटप्रेमियों के दिल जीते. जसप्रीत बुमराह ने पेट की मांसपेशी में खिंचाव के बावजूद खेला और अंगूठा टूटा होने के बावजूद रवींद्र जडेजा उसी तरह खेलने को तैयार थे , जैसे तीन दशक पहले टूटी कलाई के साथ मैल्कम मार्शल खेले थे.
इन्होंने हर आक्रमण का माकूल जवाब दिया चाहे वह ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों की ओर से हो या दीर्घा में बैठकर नस्लीय टिप्पणियां कर रहे दर्शकों की ओर से या स्टम्प के पीछे अपशब्दों की बौछार करने वाले खिलाड़ी से.
नई भारतीय टीम हर तरह की प्रतिकूल परिस्थिति का सामना करने के लिए तैयार है और यही वजह है कि नियमित कप्तान विराट कोहली को इस पर नाज है. अब इस टीम को नए दशक के पहले टेस्ट में ऐसे मैदान पर खेलना है जहां ऑस्ट्रेलिया 1988 से नहीं हारा है.
टीम में जडेजा या बुमराह नहीं है और विकेट काफी कठिन है. वहीं मयंक अग्रवाल नेट अभ्यास के दौरान चोटिल हो गए और अश्विन कमर के दर्द से जूझ रहे हैं. बल्लेबाजी कोच विक्रम राठौड़ ने मैच से पूर्व प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "हम इस पर कल फैसला लेंगे. मेडिकल टीम चोटिल खिलाड़ियों के साथ काम कर रही है. बुमराह फिट होगा तो खेलेगा, नहीं होगा तो बाहर रहेगा."
दूसरी ओर ऑस्ट्रेलियाई कप्तान टिम पेन इस बात से खुश होंगे कि निर्णायक टेस्ट गाबा पर खेला जा रहा है. ऑस्ट्रेलियाई टीम में भी विल पुकोवस्की चोट के कारण बाहर हैं जिनकी जगह मार्कस हैरिस ने ली.
पेन ने कहा, "हमें यहां खेलना पसंद है क्योंकि यह विकेट शानदार है. मुझे पता है कि यह विकेट कैसी होगी."