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नैरोबी से मैनचेस्टर तक, जानिए कैसे बने माही, कैप्टन महेंद्र सिंह धोनी - भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी

दो बार के विश्व कप विजेता भारत के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने शनिवार को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहकर पिछले एक साल से उनके भविष्य को लेकर लग रही अटकलों पर विराम लगा दिया. आइए जानते हैं धोनी का नैरोबी से मैनचेस्टर तक का सफर.

Mahendra Singh Dhoni
Mahendra Singh Dhoni

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Published : Jul 7, 2020, 8:44 AM IST

Updated : Aug 15, 2020, 9:23 PM IST

हैदराबाद: भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया है. उन्होंने इंस्टाग्राम पोस्ट के जरिए अपने संन्यास की घोषणा की. झारखंड के शहर रांची से निकलकर धोनी ने एक खिलाड़ी के तौर पर वो सब हासिल किया जो हर खिलाड़ी का सपना होता है. हालांकि ये सफर इतना भी आसान नहीं रहा. इस बीच माही ने ना जाने कितने ही उतार-चढ़ाव देखे पर कभी रूके नहीं. उनके इसी जज्बे ने उन्हें ना सिर्फ एक बेहतरीन क्रिकेटर बनाया बल्कि भारत का सबसे सफल कप्तान भी बनाया.

देखिए वीडियो

7 जुलाई 1981 को जन्मे धोनी ने स्कूल के दिनों में ही क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था. मात्र 18 साल की उम्र में उन्हें बिहार की रणजी टीम में जगह मिल गई. इसके बाद धोनी रेलवे के लिए भी खेले.

ऐसे शुरु हुआ अंतरराष्ट्रीय करियर

साल 2003 में जिम्‍बाब्‍वे और केन्‍या के दौरे पर माही को टीम इंडिया ए में जगह मिली थी. इस मौका का धोनी ने भरपूर फायदा उठाया. खेले गए सात मैचों में धोनी ने 362 रन बनाए और साथ ही अपने विकेट कीपिंग का भी अदभुत नमुना पेश किया. इस दौरान उन्होंने सात कैच लपके और चार स्टंपिंग की.

धोनी के इस प्रदर्शन ने पिछले छह साल से विकेट कीपर की तालाश में जुटे भारतीय टीम के सिलेक्टरर्स का ध्यान खींचा. इस तरह 2004 में धोनी का टीम इंडिया के साथ सफर शुरू हो गया. वैसे ये शुरुआत कहीं ना कहीं तत्‍कालीन कप्‍तान सौरव गांगुली की देन थी. उन्होंने ही धोनी को पहला मौका दिया था. बस फिर क्या था.. यहां के बाद धोनी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.

कुछ खास नहीं रही शुरुआत

बांग्लादेश के खिलाफ चटगांव में महेंद्र सिंह धोनी ने अपना अंतरराष्ट्रीय डेब्यू किया. पूरी सीरीज में धोनी का बल्ला खामोश रहा. तीन मौचों में उन्होंने मात्र 19 रन बनाए थे. धोनी को पहचान 2005 में हुए पाकिस्तान टीम के भारतीय दौरे पर मिली. हालांकि इस सीरीज के भी पहले मैच में धोनी तीन रन पर आउट हो गए थे. इसके बाद विशाखापत्‍तनम में धोनी के खामोश बल्ले ने गरजना शुरू किया. तीसरे नंबर पर बल्‍लेबाजी के लिए आए धोनी ने इस मैच में 123 गेंदों पर 148 रन की पारी खेली और भारत को 58 रन से जीत दिलाई. माही ने यहां से एक के बाद एक लगातार बड़ी पारियां खेली और टीम का अहम हिस्‍सा बन गए.

2007 टी20 विश्व कप

बखुबी संभाली कप्तानी की जिम्मेदारी

साल 2007 में में धोनी को पहली बार कप्तानी की जिम्मेदारी सौंपी गई. उसी साल टी20 विश्व कप का पहला संस्करण खेला जाना था. एक बिल्कुल युवा टीम के साथ धोनी इस टूर्नामेंट में उतरे थे. एक एक करके ये युवा ब्रिगेड सभी टीमों के धूल चटाते हुए फाइनल में पहुंची. फाइनल मुलाबला दो लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण था. एक तो धोनी के लिए बतौर कप्तान ये पहला बड़ा टूर्नामेंट का फाइनल था और दूसरा भारतीय टीम अपने चीर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान से भिड़ने वाला था.

भारतीय टीम ने शानदार प्रदर्शन करते हुए फाइनल में पाकिस्तान को 5 रन से हराकर टी20 विश्व कप खिताब पर कब्जा किया. इसी के साथ धोनी ने बतौर कप्तान खुद को सबित किया.

उसी साल उन्हें वनडे टीम की भी कप्तानी मिली. साल 2008 में धोनी टेस्ट टीम के भी कप्तान बने. अपनी कप्तानी में उन्होंने कई उपलब्धियां हासिल की.

साल 2011 रहा सबसे खास

भारत, श्रीलंका और बांग्लादेश 2011 विश्व कप की मेजबानी कर रहा था. मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर का ये आखिरी विश्व कप था. धोनी हर हाल में ये विश्व कप जीतने के इरादे से उतरे थे. टीम ने उनका ये भरोसा कायम रखा. एक के बाद एक सभी टीमों को पछाड़ते हुए सचिन का सपना पुरा करने में जुटी भारतीय टीम ने फाइनल तक का सफर पूरा किया.

2011 विश्व कप

फाइनल मुकाबला श्रीलंका के साथ था. इस मैच में धोनी पांचवे नंबर पर उतरे और ताबातोड़ बल्लेबाजी की. गौतम गंभीर ने उनका बखुबी साथ दिया. इस तरह भारत 28 साल बाद विश्व चैंपियन बना.

धोनी- बतौर कप्तान

इसके बाद धोनी की कप्तानी में भारत ने साल 2013 में चैंपियंस ट्रॉफी पर कब्जा किया. इसके साथ धोनी आईसीसी के तीनों बड़े टूर्नामेंट जीतने वाले दुनिया के इकलौते कप्तान बन गए. उनकी कप्तानी में ही टीम इंडिया टेस्ट रैंकिंग में 18 महीने तक नंबर वन रही. उनकी कप्तानी में ही भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया को उनके घर में व्हाइटवॉश किया था. साल 2014 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर धोनी के टेस्ट से संन्यास लेने के फैसले ने सभी को चौंका दिया. इसके बाद 2017 में धोनी ने वनडे की भी कप्तानी छोड़ दी पर टीम के साथ बने रहे.

महेंद्र सिंह धोनी

मैनचेस्टर में खेला गया वो मुकाबला

9 जुलाई 2019 को आईसीसी क्रिकेट विश्व कप का सेमीफाइनल मुकाबला था. ये मुकाबला न्यूजीलैंड के साथ था. गेंदबाजों ने अपने बेहतरीन प्रदर्शन के दम पर न्यूजीलैंड को 239 रनों पर रोक दिया लेकिन भारतीय शीर्ष क्रम लड़खड़ा गया. मैच की पूरी जिम्मेदारी धोनी के कंधों पर आ चुकी थी. हालांकि धोनी 50 रन बनाकर आउट हो गए और भारत ये मैच हार गई. इस मैच के बाद धोनी नीली जर्सी में मैदान पर नहीं उतरे. उम्मीद थी कि आईपीएल से धोनी एक बार फिर मैदान पर लौटेंगे लेकिन कोरोनावायरस के कारण ये स्थगित हो गया. दो बार के विश्व कप विजेता भारत के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने शनिवार को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहकर पिछले एक साल से उनके भविष्य को लेकर लग रही अटकलों पर विराम लगा दिया. उन्होंने इंस्टाग्राम पोस्ट के जरिए अपने संन्यास की घोषणा की.

Last Updated : Aug 15, 2020, 9:23 PM IST

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