हैदराबाद: इंग्लैंड की टीम भारत में आने से पहले ही चार मैचों की टेस्ट सीरीज के डे-नाइट टेस्ट के लिए पसंदीदा टीम मानी जा रही थी. क्योंकि इंग्लैंड की टीम के पास जेम्स एंडरसन, स्टूअर्ट ब्राड और जोफ्रा आर्चर के रूप में तेज गेंदबाजों की एक अच्छी फौज है. इंग्लैंड के सीनियर गेंदबाजों को पिच के दोनों तरफ से गेंद को स्विंग कराने में महारत हासिल है.
हालांकि, मोटेरा टेस्ट में जो हुआ वो ऐसा था जिसकी कोई भी भविष्यवाणी नहीं कर सकता था. सिर्फ दो सत्रों में 17 विकेट गिरे और ये मैच सिर्फ 842 गेंदों में खत्म हो गया, जिससे ये मैच पिछले आठ दशकों में खेला गया सबसे छोटा टेस्ट मैच बन गया और शायद ये तथ्य कि कोई भी ये कल्पना करने में सक्षम नहीं था कि दुनिया में किसी भी अन्य टीम की तुलना में अधिक टेस्ट मैच खेलने वाली अंग्रेजी टीम, गुलाबी गेंद के खेल में इतनी बुरी तरह से अपमानित हो सकती है, यही कारण रहा कि मोटेरा के नरेंद्र मोदी स्टेडियम के पिच को लेकर इतनी बहस हो रही है.
इंग्लैंड के पूर्व कोच रॉबिन्सन ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में मोटेरा पिच की आलोचना से जुड़े मुद्दे, डब्ल्यूटीसी और इंग्लैंड की रोटेशन नीति के बारे में अपनी राय रखी.
सवाल- चौथे टेस्ट में इंग्लैंड का समर्थन करेगी ऑस्ट्रेलियाई टीम?
A: भले ही ऑस्ट्रेलिया की विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप तक पहुंचने की संभावना चौथे टेस्ट में भारत को हराने वाले जो रूट के नेतृत्व वाले इंग्लैंड टीम पर निर्भर हो लेकिन मुझे यकीन नहीं है कि ऑस्ट्रेलियाई टीम ऐसा कर सकती है. मेरा मतलब है कि वे वास्तव में इंग्लैंड का समर्थन कर सकते हैं? मुझे ऐसा नहीं लगता.
सवाल- आखिरी टेस्ट के लिए इंग्लैंड की प्लेइंग इलेवन क्या हो सकती है?
जवाब - ये बहुत मुश्किल होने वाला है. तीसरे टेस्ट में उन्हें अपना प्लेइंग इलेवन सही नहीं लगा क्योंकि उन्हें उम्मीद थी कि विकेट सीमरों का साथ देंगे. उन्हें उम्मीद थी कि गुलाबी गेंद थोड़ी और स्विंग करेगी और तेज गेंदबाज खेल में बने रहेंगे लेकिन स्पिनर्स खेल पर पूरी तरह से हावी रहे. इसलिए अगले टेस्ट के लिए टीम का चयन करने से पहले, वे विकेट को समझने की कोशिश करेंगे कि उनके खिलाड़ी कैसा प्रदर्शन कर रहे हैं, कैसे वे प्रशिक्षण में आगे बढ़ रहे हैं और उम्मीद करते हैं कि सही खिलाड़ी अच्छे फॉर्म में हो.