कानपुर : भारतीय क्रिकेट टीम के युवा स्पिनर कुलदीप यादव के बचपन के कोच कपिल पांडे ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की है. उन्होंने इस दौरान कुलदीप से जुड़ी कई बातें बताई हैं. उन्होंने बताया है कि कुलदीप पहली बार उनके कब मिले और किस तरह वे चाइनामैन बने. कोच कपिल पांडे ने बताया कि कुलदीप तेज गेंदबाज बनना चाहते थे.
कुलदीप यादव पहली बार कब आपसे मिले?
कोच कपिल पांडे ने कहा,"पहली बार साल 2004-05 में उसके पिता यहां लेकर आए थे. वो तब 10 साल का था." उन्होंने आगे कहा,"एक दुबला-पतला बच्चा था वो जो तेज गेंदबाज था. जब मैंने उसको 4-5 महीने बाद अभ्यास करवाया तब मैंने उससे पूछा कि मीडियम पेसर्स में क्या बनना चाहते हो तो कुलदीप के ये शब्द थे कि मैं वसीम अकरम बनना चाहता हूं. तब मैंने उनको कहा था कि तुम्हारी बिल्ड ऐसी अच्छी नहीं है तो तुम स्पिन डालो. जब मैंने उसको ये कहा था तो वो नाराज हो गया लेकिन उसको कहा था कि तुमको बॉल डालनी है तो स्पिन डालो, तब उसने जो पहली गेंद डाली वो चाइनामैन गेंद थी. उससे वो आज चाइनामैन के नाम से जाना जा रहा है."
कुलदीप जब कानपुर आते हैं तो साथ में कितना समय बिताते हैं?
कपिल पांडे ने बताया,"जब वो फ्लाइट में बैठता है तो वो फोन कर देता है और हम प्लान बना लेते हैं. कभी-कभी वो कानुपर आते ही घर आता है और सीधे ग्राउंड पर आ जाता है. पहले दिन भले ही प्रैक्टिस न करे लेकिन ग्राउंड में जरूर पहुंचता है फिर अगले दिन हम अभ्यास शुरू करते हैं. वो बहुत ही डेडिकेटेड है अपने गेम को लेकर और बहुत ही डिसिप्लिन है. जिस खिलाड़ी में क्रिकेट को लेकर समर्पण होगा, वो जरूर इंडिया के लिए खेलेगा."