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दिव्यांग खिलाड़ियों के लिए अभी तक नहीं हुआ समिति का गठन: पीसीसीएआई सचिव

दिव्यांग क्रिकेटर असोसिएशन के सचिव रवि चौहान ने बीसीसीआई को भेजे गए पत्र में लिखा कि सौरव गांगुली जब बीसीसीआई अध्यक्ष बने थे, तब कई लोगों को उम्मीद थी कि बोर्ड का भाग्य उसी तरह से बदल जाएगा जिस तरह से भारतीय क्रिकेट का उनके कप्तान बनने पर बदला था. लेकिन अभी तक कुछ ठोस नहीं हुआ है और उम्मीद निराशा में बदल गई है.

PCCAI
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Published : Jul 28, 2020, 9:45 AM IST

नई दिल्ली: दिव्यांग क्रिकेटर असोसिएशन (पीसीसीएआई) ने बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली को पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने संघ को मान्यता देने और दिव्यांग खिलाड़ियों के लिए एक समिति बनाने की मांग की है.

पीसीसीएआई के सचिव रवि चौहान ने अपने पत्र में कहा है कि गांगुली जब बीसीसीआई अध्यक्ष बने थे, तब कई लोगों को उम्मीद थी कि बोर्ड का भाग्य उसी तरह से बदल जाएगा जिस तरह से भारतीय क्रिकेट का उनके कप्तान बनने पर बदला था.

सौरव गांगुली

चौहान ने लिखा, "खासकर, दिव्यांग क्रिकेटर्स काफी खुश थे कि ऐसा कोई आया है जो इस मामले को देखेगा और उनकी जिंदगी बदलेगा. उनकी उम्मीदें तब और बढ़ गई, जब दिव्यांग क्रिकेटरों की दादा (गांगुली) के साथ बैठकें हुईं, लेकिन अभी तक कुछ ठोस नहीं हुआ है और उम्मीद निराशा में बदल गई है."

उन्होंने कहा कि जस्टिस लोढ़ा समिति ने दिव्यांग क्रिकेटरों के लिए एक समिति बनाने की सिफारिश की थी जिसे बीसीसीआई को अपने नए संविधान में शामिल करना चाहिए था.

दिव्यांग क्रिकेट

उन्होंने कहा, "कुछ साल बीत चुके हैं लेकिन जब भारत के दिव्यांग क्रिकेटरों के लिए कुछ करने की बात आती है तो बीसीसीआई शांत दिखाई देती है."

उन्होंने आगे लिखा, "बीसीसीआई के इस व्यवहार का असर यह है कि भारत के दिव्यांग क्रिकेट खिलाड़ी जिसमें दृष्टिबाधित, व्हीलचेयर, सुनने और बोलने में अक्षम क्रिकेटर शामिल हैं, को अभी भी भारत में मान्यता नहीं मिली है और इसलिए इन टीमों का हिस्सा जो खिलाड़ी हैं उन्हें किसी तरह की मदद नहीं मिल रही है और ना ही समाज के किसी कोने से किसी तरह की पहचान."

बीसीसीआई

पीसीसीएआई के महासचिव ने कहा कि कोविड-19 से पहले खिलाड़ियों की हालत थोड़ी बहुत ठीक थी लेकिन इसके बाद तो और बदतर हो गई है.

उन्होंने कहा, "खिलाड़ी अच्छे हैं और वे नहीं चाहते कि दूसरे इन पर दया दिखाएं, यह लोग सिर्फ समान मौके चाहते हैं. हमने बीसीसीआई को कई पत्र लिखे, कई बार बोर्ड के सामने अपनी बात रखी लेकिन हमारी अपील की कोई सुनवाई नहीं हुई."

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