सिडनी: 'अंपायर्स कॉल' मुख्य रूप से उस समय तस्वीर में आता है जब पगबाधा के फैसले के लिए रिव्यू मांगा जाता है. इस स्थिति में अगर मैदानी अंपायर ने बल्लेबाज को नॉटआउट दिया है तो रिव्यू में स्टंप पर गेंद लगती हुए दिखने के बावजूद टीवी अंपायर के पास फैसले को बदलने का अधिकार नहीं होता.
गेंदबाजी टीम के लिए एकमात्र सांत्वना यह होती है कि उसका रिव्यू बरकार रहता है. एक वेबासाइट ने हार्पर के हवाले से कहा, ''मैंने अंपायर्स कॉल काफी देख ली. अंपायर कॉल को प्रतिबंधित कर दो. विवाद से छुटकारा पाओ और इससे पीछा छुड़ो लो. स्टंप से किसी भी संपर्क पर बेल्स गिरती हैं. इसका 48 प्रतिशत, 49 प्रतिशत से कोई लेना देना नहीं है.''