नई दिल्ली :टीम इंडिया के पूर्व कप्तान और दिग्गज लेग स्पिनर अनिल कुंबले ने कहा है कि 2007-08 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर विवादित सिडनी टेस्ट के बाद इस दौरे को बीच में रद करना 'स्वीकार करने वाला' विकल्प हो सकता था लेकिन उनकी टीम ने इस दौरे को जारी रखा क्योंकि वो विषम परिस्थितियों में सीरीज के बाकी मैचों को जीतकर दुनिया के सामने उदाहरण पेश करना चाहती थी.
जनवरी 2008 में हुए सिडनी टेस्ट को खराब अंपायरिंग के साथ-साथ 'मंकीगेट कांड' के लिए भी याद किया जाता है. इस विवाद में ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह पर एंड्र्यू सायमंड्स पर नस्लीय टिप्पणी करने का आरोप लगा था. आईसीसी ने भज्जी पर तीन टेस्ट का बैन भी लगाया था.
भारत ने तब आईसीसी के इस निर्णय के खिलाफ अपील की थी और तब ऐसी भी बातें उठी थीं कि संभव है टीम इंडिया अपना वह दौरा बीच में ही छोड़कर वापस लौट जाए. आखिरकार हरभजन सिंह पर लगे तीन मैचों के बैन को हटा लिया गया और उन पर न्यूजीलैंड हाई कोर्ट के जज जॉन हेंसन नेमैच फीस का 50 फीसदी जुर्माना लगाया.
अनिल कुंबले ने रविचंद्रन अश्विन से अपने क्रिकेट करियर के यादगार सफर पर बात कर रहे थे. इस दिग्गज खिलाड़ी ने कहा, "आपको मालूम है कि बतौर कप्तान आपको मैदान पर ही निर्णय लेने होते हैं. यहां मैं कुछ ऐसी चीज का सामना कर रहा था, जो मैदान से बाहर थी और मुझे ऐसा निर्णय लेना था, जो खेल के हित में हो."