नई दिल्ली:भारत के कुछ प्रमुख बैडमिंटन खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट के लिए फंड की समस्या से जूझना पड़ रहा है. इस सूची में मौजूदा राष्ट्रीय चैंपियन सौरभ वर्मा और 2014 राष्ट्रमंडल खेलों के स्वर्ण पदक विजेता पारुपल्ली कश्यप जैसे बड़े खिलाड़ियों के नाम भी शामिल हैं.
एक निजी अखबार की रिपोर्ट के अनुसार ये खिलाड़ी सुपर सीरीज और ग्रैंड प्रिक्स जैसे अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में प्रतिस्पर्धा के लिए अपने स्वयं के धन की व्यवस्था करने के लिए मजबूर हैं. वहीं यह बैडमिंटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (बीएआई) के नियम के कारण हुआ है. इस नियम के अनुसार जो खिलाड़ी बीडब्ल्यूएफ विश्व रैंकिंग के शीर्ष -25 में हैं सिर्फ उन्हें ही फेडरेशन और भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) से वित्तीय सहायता मिलेगी.
बैडमिंटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (बीएआई) मौद्रिक सहायता की कमी के चलते, जो भारतीय बैडमिंटन के खिलाड़ी 'राष्ट्रीय कोर समूह' का हिस्सा हैं उन्होंने बैडमिंटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (बीएआई) अध्यक्ष, हिमंत बिस्वा सरमा के दरवाजे खटखटाए. खिलाड़ियों ने अध्यक्ष से अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट के लिए फंड देने का अनुरोध किया है.
एकल, युगल और मिश्रित युगल के वरिष्ठ खिलाड़ियों के ग्रुप ने इस समस्या से जुड़ा एक पत्र भी लिखा है. इस पत्र में अधिकांश खिलाड़ी पुलेला गोपीचंद अकादमी में प्रशिक्षण लेते हैं.
खिलाड़ियों ने पत्र के माध्यम से कहा है कि, "जब से सिर्फ दुनिया के शीर्ष -25 में स्थित खिलाड़ियों को बीएआई द्वारा फंड देने का नियम आया है. उसके बाद से हमें अपनी खुद की जेब से पैसा खर्च करना पड़ता है. हम में से अधिकांश के पास कोई भी निजी प्रायोजक नहीं है और न ही कोई स्थायी नौकरी है जो हम टूर्नामेंट का खर्च अपने संबंधित उपकरण प्रायोजकों से प्राप्त करें. वहीं जबकि कई खिलाड़ियों ने अपने उपकरणों के मौद्रिक अनुबंध को भी खो दिया है जिसके कारण उन्हें अपने परिवार के पैसे का उपयोग करना पड़ता है."
पत्र में आगे ये भी कहा गया है कि, "मुख्य समूह में होने के नाते, हम सभी अभी राष्ट्रीय केंद्र में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं जो कि बहुत अच्छा है. लेकिन हमें यह भी लगता है कि अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट के लिए भेजे जाने वाले खिलाड़ियों के संदर्भ में हमें और अधिक समर्थन की आवश्यकता है. हम एसोसिएशन से उपेक्षित हैं क्योंकि सभी पैसे स्थापित खिलाड़ियों (जो विश्व रैंकिंग में शीर्ष -25 का हिस्सा हैं) की ओर डायवर्ट किए गए हैं, जिनके पास कई प्रायोजक हैं. हम आभारी होंगे यदि कोर ग्रुप के खिलाड़ी कम से कम, प्रति वर्ष 10-12 टूर्नामेंट के लिए मंत्रालय से फंड पा सकें."
बीएआई अध्यक्ष, हिमंत बिस्वा दिसंबर 2018 से कुरनूल और बेंगलुरु में रैंकिंग टूर्नामेंट के आयोजन के बाद, खिलाड़ियों को बीएआई द्वारा कोई भी ऐसी सूचना नहीं मिली है. वहीं खिलाड़ियों द्वारा संपर्क करने पर, बीएआई के महासचिव अजय सिंघानिया ने मीडिया को बताया,"हम जल्द ही इस प्रथा को समाप्त कर देंगे. उन्होंनो बताया बीएआई रिलायंस फाउंडेशन के साथ तीन साल की साझेदारी कर रहा है और प्रायोजन से आने वाले पैसे से उन सभी खिलाड़ियों की दूसरी पंक्ति में मदद मिलेगी जो इस नियम से प्रभावित हैं."