हैदराबाद : बैडमिंटन में भारत के मुख्य राष्ट्रीय कोच पुलेला गोपीचंद ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि अभी भी देश में बैडमिंटन के लिए कोच और अधिक संसाधनों की जरूरत है. उन्होंने कहा विदेशी कोच न तो खिलाड़ियों के समझ पाते हैं और न दिल से खिलाड़ियों के साथ जुड़ पाते हैं.
लोगों की मानसिकता नहीं बदली
गोपीचंद ने कहा 'जिस तरह से बैटमिंटन और खिलाड़ियों का स्तर बढ़ा है. उस तरह से हमारी सोच नहीं बढ़ी है और हम लोगों की तैयारियां भी नहीं बढ़ी हैं. अगर खिलाड़ी आगे बढ़ता है तो उसके साथ फैसिलिटी भी बढ़नी चाहिए. हमारे पास कोच, मेंटल ट्रेनर, फिजियोथेरेपिस्ट नहीं हैं. हम इन सब चीजों के बारे में ध्यान नहीं दे रहे'.
ईटीवी से खास बातचीत के दौरान भारतीय बैडमिंटन के नेशनल कोच पुलेला गोपीचंद
विदेशी कोचों पर भड़के
उन्होंने कहा 'मुझे लगता है कि सिंगल्स या डबल्स में हमारे खिलाड़ी ऊपर हैं लेकिन हमारे पास कोई कोच नहीं है. अभी 10-15 खिलाड़ी टॉप पर बैठे हैं जिसके लिए हमें बाहर से कोच चुनने पड़ते हैं. वो कॉन्ट्रैक्ट के तौर पर आते हैं. और उनका दिमाग भी उसी तरह काम करता है. कोचों को जब तक हम सपोर्ट नहीं करेंगे तब तक हम आगे की नहीं सोच सकते'.पिछले कुछ सालों में ये प्रशासन की कमी रही है कि हमारे पास जो समस्याएं आ रही है उसका हल नहीं निकला पा रहे हैं.
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कोच कैसे मिलेंगे ?
हमारे जो टॉप खिलाड़ी रिटायर हो चुके हैं उन्हें कोचिंग में लाने की कोशिश करेंगे. देश में लगभग 20 से 25 हजार लोग बैटमिंटन खेलने वाले हैं. उनमें से 50 से 100 लोग ही विश्वस्तर पर खेल पा रहे हैं. कोच और खिलाड़ियों को बराबर प्रोत्साहन मिलते रहना चाहिए.