नई दिल्ली : दो बार की रजत पदक विजेता रविवार को स्विट्जरलैंड के बासेल में एकतरफा फाइनल में जापान की नोजोमी ओकुहारा को 21-7 21-7 से हराकर विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी बनीं.
विहारी ने दी बधाई
एंटीगा में वेस्टइंडीज के खिलाफ भारत के पहले मैच की दूसरी पारी में 93 रन बनाने वाले विहारी ने कहा, ''भारत खेलों के लिए बेहतरीन उपलब्धि और मैं इस विशेष दिन उन्हें बधाई देना चाहता हूं और हम भारतीयों को उन पर गर्व है.''
उन्होंने कहा, "उम्मीद करता हूं कि वह भविष्य में देश के लिए और अधिक उपलब्धियां हासिल करेंगी. ये स्वर्ण पदक सिंधु का विश्व चैंपियनशिप में पांचवां पदक है. इससे पहले वो 2017 और 2018 में रजत जबकि 2013 और 2014 में कांस्य पदक जीत चुकी हैं.सिंधु विश्व चैंपियनशिप के महिला एकल में सर्वाधिक पदक जीतने के मामले में चीन की झेंग निंग के साथ शीर्ष पर हैं। निंग ने 2001 से 2007 के बीच एक स्वर्ण, दो रजत और दो कांस्य पदक जीते.
बी साई प्रणीत ने भी जीता पदक
बी साई प्रणीत भी 36 साल के इंतजार को खत्म करते हुए 1983 में प्रकाश पादुकोण के बाद विश्व चैंपियनशिप में पदक जीतने वाले पहले भारतीय बने. पादुकोण और प्रणीत दोनों ने इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में कांस्य पदक जीते हैं.
प्रसाद ने कोच गोपीचंद के योगदान को सराहा
प्रसाद ने सिंधु और प्रणीत के अलावा मुख्य राष्ट्रीय कोच पुलेला गोपीचंद की भी उनके योगदान के लिए सराहना की. प्रसाद ने कहा, ''विश्व चैंपियनशिप जीतने के लिए सिंधु को बधाई. ये उनकी कड़ी मेहनत, प्रतिबद्धता और कौशल का नतीजा है. उनसे पूरे देश को उन पर गर्व है.''
US Open : अपने 'ड्रीम डेब्यू' में रोजर फेडरर का सामना करेंगे सुमित नागल
उन्होंने कहा, ''मैं पुलेला गोपीचंद की भी सराहना करना चाहता हूं जो भारतीय बैडमिंटन की रीढ़ हैं. मैं निजी तौर पर उन्हें जानता हूं और मैंने कभी उनके जितना प्रतिबद्ध व्यक्ति नहीं देखा. सिंधु और साई प्रणीत तथा उनके गुरू गोपीचंद को सलाम.''
बीएआई ने पुरस्कार देने की घोषणा की
भारतीय बैडमिंटन संघ (बीएआई) ने विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक के लिए सिंधु को 20 लाख जबकि कांस्य पदक जीतने के लिए प्रणीत को पांच लाख रुपये का पुरस्कार देने की घोषणा की. बीएआई के महासचिव अजय के सिंघानिया ने दोनों खिलाड़ियों के प्रयासों की सराहना की.
सिंघानिया ने कहा, ''सिंधु ने शानदार प्रदर्शन किया क्योंकि उसने पदक के दौरान खुद को साबित कर चुके चैंपियन खिलाड़ियों को हराया.'' उन्होंने कहा, ''लगातार प्रयास करने के लिए राष्ट्रीय कोच गोपीचंद और विदेशी कोच किम जी गुंग को श्रेय जाता है, साथ ही ये मत भूलिए कि साई प्रणीत ने कांस्य पदक जीतने के दौरान कैसा खेल दिखाया. मैं दोनों खिलाड़ियों को बधाई देना चाहता हूं क्योंकि ऐसा प्रदर्शन उभरते हुए खिलाड़ियों के लिए सच्ची प्रेरणा है.''