हैदराबाद : भारत की महिला हॉकी टीम ने टोक्यो ओलिंपिक में शानदार प्रदर्शन किया. उन्होंने पहली बार ओलिंपिक के सेमीफाइनल में जगह बनाई. हालांकि सेमीफाइनल में अर्जेंटीना और उसके बाद ब्रॉन्ज मेडल मैच में ग्रेट ब्रिटेन के हाथों हार का सामना करना पड़ा. ओलिंपिक मेडल चूकने के बाद टीम इंडिया के प्लेयर्स मैदान पर ही फूट-फूटकर रोने लगीं. सविता पूनिया, वंदना कटारिया, कप्तान रानी रामपाल और नेहा गोयल समेत तमाम खिलाड़ी इमोशनल हो गए. वही अब वंदना कटारिया के परिवार के साथ हुए जातिगत भेदभाव का मामला सामने आया है. इसको लेकर बॉलीवुड एक्ट्रेस स्वरा भास्कर ने एक ट्वीट किया, जिस पर सोशल मीडिया पर चर्चा होने लगी. कई लोगों ने उन पर निशाना भी साधा. स्वरा भास्कर ने ओलंपिक कमेटी को लिखे एक लेटर को री-ट्वीट किया.
दरअसल, मिशन आंबेडकर नामके एक ट्विटर के वैरिफाइड हैंडल ने जानकारी देते हुए कहा कि उन्होंने ओलंपिक कमेटी को एक लेटर लिखा है. इस लेटर को ही स्वरा भास्कर ने री-ट्वीट किया. एक्ट्रेस स्वरा भास्कर ने कहा, ''हमें अपने साथी-नागरिकों और खिलाड़ियों की देखभाल करने के लिए ओलंपिक कमेटी की जरूरत नहीं होनी चाहिए. शर्मनाक है जो कुछ भी हुआ. #वंदनाकटारिया. हम एक बीमार समाज हैं.' स्वरा भास्कर के ट्वीट पर विवाद छिड़ चुका है. कई यूजर्स ने उनपर जातिवादियों के समर्थन में आने का आरोप लगा रहे हैं.
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एक यूजर ने ट्वीट किया, 'स्वरा भास्कर को ओलंपिक कमेटी को हमारे लेटर पर आपत्ति है. जातिवाद के खिलाफ हमारी मांगी गई एकता से आपको क्या समस्या है? यह हमारे इनटर्नल मुद्दे पर कैसे हमला करता है? या यह आपकी फर्स्ट हैंड एकता का प्रूफ है?'' वहीं, ट्विटर पर निशाना बनने के बाद स्वरा भास्कर ने अपना पक्ष रखते हुए लिखा कि मुझे लगता है कि आप लोग मेरे ट्वीट को पूरी तरह से गलत समझ रहे हैं. मैं बस इतना कह रही हूं कि इसे इस तरह नहीं आना चाहिए था. आपको किसी अंतरराष्ट्रीय संगठन को पहले नहीं लिखना चाहिए. हमारी अपनी सरकार को यह सोचना चाहिए और वंदना को सपोर्ट करना चाहिए. बस.''