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First Look: अक्षय ने किया 'गोरखा' का एलान, पोस्टर से बताई फिल्म की कहानी

गोरखा महान युद्ध नायक मेजर जनरल इयान कार्डोजो के जीवन पर आधारित एक ऐसी ही फिल्म होगी. अक्षय ने हाल ही में आनंद एल रॉय के साथ दिल्ली में अपनी एक फिल्म रक्षाबंधन की शूटिंग को पूरा किया था. फिल्म गोरखा में भी अक्षय कुमार आनंद एल रॉय के साथ ही काम करेंगे.

अक्षय कुमार ने किया 'गोरखा' का एलान
अक्षय कुमार ने किया 'गोरखा' का एलान

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Published : Oct 16, 2021, 7:35 AM IST

Updated : Oct 16, 2021, 8:05 AM IST

हैदराबाद:अभिनेता अक्षय कुमार ने दशहरा के शुभ अवसर पर एक और आगामी फिल्म की घोषणा की है. अभिनेता ने सोशल मीडिया पर फिल्म का फर्स्ट लुक पोस्टर शेयर किया और घोषणा की कि वह मेजर जनरल इयान कार्डोजो की भूमिका निभाने वाले हैं.

अक्षय कुमार ने फर्स्ट लुक में फिल्म पोस्टर की 2 तस्वीरें ट्वीट करते हुए लिखा, 'कभी-कभी आपके सामने ऐसी प्रेरक कहानियां आती हैं कि आप उन्हें बनाना ही चाहते हैं। #गोरखा - महान युद्ध नायक मेजर जनरल इयान कार्डोजो के जीवन पर ऐसी ही एक फिल्म है. एक आइकन की भूमिका निभाने और इस विशेष फिल्म को प्रस्तुत करते हुए सम्मानित महसूस कर रहा हूं। @sanjaypchauhan द्वारा निर्देशित।'

महान युद्ध नायक मेजर जनरल इयान कार्डोजो के जीवन पर आधारित 'गोरखा' का निर्देशन संजय पूरन सिंह चौहान करेंगे। मेजर जनरल इयान कार्डोज़ो एक पूर्व भारतीय सेना अधिकारी हैं, जो एक बटालियन और एक ब्रिगेड की कमान संभालने वाले भारतीय सेना के पहले युद्ध-दिव्यांग अधिकारी बने थे.

युद्ध में लगी चोट के कारण, उन्हें विच्छेदन (अंग को हटाने की प्रक्रिया) से होकर गुजरना पड़ा और साल 1984 में ब्रिगेडियर के रूप में पदोन्नत होने के दौरान उनका एक पैर लकड़ी का था.

इयान कार्डोज़ो ने 2005 से 2011 तक भारतीय पुनर्वास परिषद के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया। अपना पैर कटने के बावजूद, पूर्व भारतीय सेना अधिकारी नियमित रूप से मुंबई मैराथन में भाग लेते हैं.

दिलचस्प बात यह है कि गोरखा भी 1971 भारत-पाक युद्ध से निकली है, जिसमें मेजर जनरल कारदोज़ो ने भाग लिया था. एक लैंड माइन पर गिरने की वजह से उनकी एक टांग ज़ख़्मी हो गयी थी. मेडिकल सुविधा मौके पर ना मिलने की वजह से उन्होंने अपनी खुखरी से टांग काट दी थी. 84 साल के मेजर जनरल इयान कारदोज़ो एक डेकोरेटेड सैन्य अफ़सर रहे हैं,

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जिन्हें अति विशिष्ट सेवा मेडल (AVSM) से सम्मानित किया गया था. वो देश के पहले ऐसे सैन्य अफ़सर हैं, जिन्होंने युद्ध में अपंग होने के बावजूद एक ब्रिगेड और बटालियन का नेतृत्व किया था. नाम लेने में मुश्किल होने की वजह से गोरखा रेजीमेंट में उन्हें कारतूस साहिब के नाम से बुलाया जाता था.

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Last Updated : Oct 16, 2021, 8:05 AM IST

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