मुंबई : अभिनेत्री रानी मुखर्जी का कहना है कि उन्होंने कभी अभिनेत्री बनने की इच्छा से फिल्म उद्योग में कदम नहीं रखा था, लेकिन उनकी यात्रा बेहद फायदेमंद साबित हुई, जब उन्हें कला और इसके बूते दर्शकों की तरफ से मिलने वाली तारीफ से प्यार होने लगा.
बॉलीवुड में अपने 25वें साल में, मुखर्जी को यह सपना जैसा ही लगता है, जब वह सोचती हैं कि उन्होंने कितना लंबा सफर तय कर लिया है. अभिनेत्री ने 1996 में 18 साल की उम्र में फिल्म 'राजा की आएगी बारात' के साथ हिंदी फिल्म जगत में कदम रखा था. दो साल बाद वह सुपरस्टार आमिर खान अभिनीत 'गुलाम' और ब्लॉकबस्टर 'कुछ कुछ होता है' के साथ सबकी नजरों में आईं, जहां से उनके करियर ने ऊंचाइयां छूनी शुरू की.
मुखर्जी ने 'पीटीआई-भाषा' के साथ एक साक्षात्कार में कहा, 'मैं कभी भी अभिनेत्री नहीं बनना चाहती थी. अभिनय कभी करियर के लिए मेरी पसंद नहीं था. जब आप युवा होते हैं और जीवन में कुछ खास करने का सपना देखते हैं तो आप उसके प्रति जुनून पैदा कर लेते हैं. आप उस खास क्षेत्र में जाना चाहते हैं क्योंकि वह आपना जुनून, आपका पहला प्यार होता है. लेकिन मेरे काम के साथ मेरा रिश्ता परिवार की रजामंदी से हुई शादी जैसा है. मैंने जब यह (अभिनय की दुनिया में कदम) कर लिया तब मुझे उससे प्यार हो गया.'
अभिनेत्री ने कहा कि यह उनकी गायिका-मां कृष्णा मुखर्जी थीं, जिन्होंने जोर देकर कहा कि उन्हें फिल्मों में काम करना शुरू कर देना चाहिए.उन्होंने कहा, 'धीरे-धीरे, मुझे इस कला से प्यार होने लगा. क्योंकि मुझे एहसास हुआ कि इस पेशे में बहुत सारी कला की जरूरत है. भावनाओं को व्यक्त करने और बाहर लाने के लिए आपके पास यह कला होनी चाहिए.'