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कोरोना में मदद : भूखों को खाना खिलाने में जुटे विकास खन्ना - निर्देशक विकास खन्ना

सेलिब्रिटी शेफ और नीना गुप्ता स्टारर फिल्म 'द लास्ट कलर' के निर्देशक विकास खन्ना इन दिनों अपनी फिल्म की रिलीज को भूल कर जरूरतमंदों को खाना खिलाने में जुटे हैं. निर्देशक अपने अभियान हैशटैग 'फीडइंडिया' के जरिए वृंदावन की हजारों विधवाओं को खाना और जरूरी सामान पहुंचा रहे हैं.

vikas khanna, ETVbharat
कोरोना में मदद : भूखों को खाना खिलाने में जुटे विकास खन्ना

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Published : Jun 29, 2020, 8:41 PM IST

मुंबई: भारतीय सेलिब्रिटी स्टार शेफ विकास खन्ना अपनी रोजमर्रा की जिम्मेदारियों से हटकर समाज सेवा पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.

उन्होंने बताया है कि आजकल वह एक सोशल मीडिया कैम्पेन के माध्यम से बड़े पैमाने पर एक खाद्य वितरण अभियान को आयोजित करने में लगे हुए हैं. वह इस काम में इतने व्यस्त हैं कि उन्हें एक निर्देशक के तौर पर अपनी पहली फिल्म 'द लास्ट कलर' की रिलीज के बारे में सोचने तक का भी वक्त नहीं है.

विकास के इस अभियान हैशटैग फीडइंडिया का मकसद कोविड-19 महामारी की इस मुश्किल घड़ी में मुंबई में हजारों की तादात में डब्बावालों और वृंदावन की विधवाओं को खाने के साथ-साथ जरूरी सामानों की आपूर्ति कराना है.

उन्होंने कहा, 'इसकी शुरुआत एक स्पैम ईमेल से हुई. 1 अप्रैल को मैंने एक ईमेल देखा जिसमें कहा गया था कि भारत में लॉकडाउन के बाद यहां के वृद्धाश्रमों को आपके सहारे की जरूरत है. मैंने उसे मेल को डिलीट कर दिया, लेकिन कभी-कभी ऐसा होता है कि आप गलत ट्रेन में चढ़ जाते हैं, जो आपको सही मंजिल पर पहुंचा देती है और इस मामले में मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ.'

विकास ने आगे बताया, 'यह एक स्पैम ई-मेल था, लेकिन इसमें जो तस्वीरें थीं, उनमें बूढ़े-बुजुर्ग भोजन के बिना लेटे हुए थे, इसे देख मेरे दिल को ठेस पहुंची क्योंकि मैं पहले भी वृद्धाश्रमों और कुष्ठ केंद्रों के साथ काम कर चुका हूं और मुझे पता था कि उनके पास आम तौर पर भोजन का भंडारण होता है. इसके बाद यह बात सही है या गलत इसे परखने के लिए मैंने इस मुद्दे को लेकर ट्वीट किया, हमें सैकड़ों ई-मेल मिले। हमें नहीं पता था कि लोग हमारे ट्वीट पर ध्यान भी देंगे, लेकिन मुझे गोवा और कर्नाटक सहित कई जगहों से मैसेज मिलने शुरू हो गए हैं.'

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शेफ ने आखिर में बताया कि राष्ट्रीय आपदा राहत बल (एनडीआरएफ) ने उनकी योजनाओं को अंजाम देने में उनकी मदद कीं. लगभग 80 दिनों की एक अवधि के दौरान उन्होंने संगठन की मदद से देश के 125 शहरों में स्थित अनाथालयों, वृद्धाश्रमों, कुष्ठ केंद्रों, विधवा आश्रमों के साथ-साथ प्रवासी श्रमिक सहित 1.4 करोड़ लोगों को भोजन वितरित किए.

(इनपुट्स- आईएएनएस)

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