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Vikas Bahl Vs #MeToo: क्या जांच के प्रक्रिया का पालन नहीं किया?

रिपोर्ट्स के मुताबिक विकास बहल पर #MeToo की लहर के दौरान पिछले साल एक महिला द्वारा यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया गया था, जिसके बाद विकास को 'सुपर 30' के निर्देशक के रूप में श्रेय नहीं दिया जाएगा. हालांकि, फैंटम फिल्म्स में 50% हिस्सेदारी रखने वाली रिलायंस एंटरटेनमेंट ने एक आंतरिक जांच की, जिसमें फिल्म निर्माता को सभी आरोपों से क्लिन चिट दे दिया गया है.

Vikas Bahl Vs #MeToo: Probe didn't follow due process?

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Published : Jul 3, 2019, 6:07 PM IST

मुंबई : विकास बहल, जिन पर #MeToo की लहर के दौरान पिछले साल एक महिला द्वारा यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया गया था, जिसके चलते फिल्म 'सुपर 30' में अपने निर्देशकीय क्रेडिट से उन्हें दूर होना पड़ा था. आपको बता दें कि हाल ही में उन्हें इंटरनल कंप्लेंट कमिटी द्वारा दी गई क्लीन-चिट के आरोपों से बरी कर दिया गया.

एक प्रमुख प्रकाशन के अनुसार, आईसीसी ने वास्तविक प्रक्रियाओं का पालन किए बिना बहल को मंजूरी दी. इसके अलावा, फिल्म निर्माता पर लगे आरोपों की जांच करने वाली समिति को भारतीय कानूनों के अनुसार दोषी की याचिका पर ऐसा नहीं करना चाहिए.

कथित तौर पर, आईसीसी ने बहल के निवेशकों को बचाने के दौरान उसके खिलाफ लगाए गए आरोपों से बरी करने के लिए जल्दबाजी की प्रक्रिया का पालन किया.

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सूत्रों के मुताबिक विकास बहल को उचित जांच के बिना आरोपों से मुक्त कर दिया गया. आईसीसी ने महिला (पीड़ित) के पक्ष में गवाहों का साक्षात्कार भी नहीं लिया.

इसके अलावा, ICC चैताली परमार, मधु मंटेना और अनिरुद्ध नाग तक पहुंची, जो वर्षों से बहल के साथी रहे हैं.

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रिपोर्ट्स के मुताबिक इससे पहले, यह बताया गया था कि विकास को 'सुपर 30' के निर्देशक के रूप में श्रेय नहीं दिया जाएगा. हालांकि, फैंटम फिल्म्स में 50% हिस्सेदारी रखने वाली रिलायंस एंटरटेनमेंट ने एक आंतरिक जांच की, जिसमें फिल्म निर्माता को सभी आरोपों से क्लिन चिट दे दिया गया है.

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