नई दिल्ली :मशहूर अदाकारा विद्या बालन ने कहा कि वह असल जिंदगी में अपनी आने वाली फिल्म 'शेरनी' में निभाए वन अधिकारी विद्या विंसेंट के किरदार की तरह ही हैं, जो बहुत कम बोलती है और चाहती है कि उसका काम बोले.
इस आगामी फिल्म का ट्रेलर दिखाता है कि यह किरदार कई पुरुषों से घिरा हुआ है, जो उन्हें नियंत्रित करना चाहते हैं कि वह कैसे काम करें. विद्या का कहना है कि कुछ ऐसा ही उनकी असल जिंदगी में भी हुआ है.
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बालन ने कहा, 'मुझे कोई एक घटना याद नहीं है, लेकिन हर बार पुरुष इस सोच के साथ बड़े होते हैं कि उन्हें हमेशा अपना दबदबा रखना चाहिए, जबकि महिलाओं को यह विश्वास करना सिखाया जाता है कि हमें संरक्षण की जरूरत है, इसलिए हम हमेशा आगे आने, आवाज उठाने, अपने लिए खड़े होने तथा अपने लिए फैसले करने को लेकर थोड़ा हिचकिचाते हैं.'
15 साल के करियर में किए कई किरदार
अपने 15 साल के फिल्मी करियर में बालन ने अलग-अलग तरह के किरदार निभाए, जिनमें वह हमेशा मुख्य भूमिका में रहीं. चाहे वह 'परिणीता' से उनका आगाज रहा हो या उनकी नई फिल्म 'शेरनी' हो, जिसमें उन्होंने एक ऐसी वन अधिकारी का किरदार निभाया है, जो आदमखोर बाघ को पकड़ना चाहती है.
बालन ने कहा कि फिल्म निर्देशक अमित मसुरकर ने एक ऐसी महिला वन अधिकारी की कहानी सुनाई, जो मानव-पशु संघर्ष को सुलझाने की कोशिश करते वक्त अपनी शादी और नौकरी के बीच उलझ जाती है और जल्द ही इन सबमें फंस जाती है. मसुरकर को उनकी फिल्म 'न्यूटन' के लिए जाना जाता है और उन्होंने कई विज्ञापन फिल्मों में बालन के साथ काम किया है.
'मेरा किरदार एक शेरनी की तरह'
विद्या विंसेंट भी एक पितृसत्तात्मक समाज और अपने विभाग में उदासीन रवैये का सामना करती है. अभिनेत्री ने कहा, 'वह ऐसी इंसान है जो बहुत कम बोलती है, बमुश्किल मुस्कुराती है, लेकिन वह कुछ कर दिखाने वाली है. वह वही करती है जो उसे सही लगता है. यह इस तरह है कि आपको शेरनी की तरह दहाड़ने की जरूरत नहीं है. तो मेरा किरदार भी एक शेरनी की तरह है, लेकिन वह दहाड़ती नहीं है.'
यह पूछने पर कि क्या उनका किरदार उसी तरह है जैसे कि उन्होंने बॉलीवुड में अपने करियर को आगे बढ़ाया. इस पर बालन ने कहा, 'मुझे लगता है कि मैं निजता पसंद करने वाली शख्स हूं. जो मैं करती हूं वह मुझे अच्छा लगता है, तो जब मैं किसी फिल्म का प्रचार कर रही हूं तो मैं उसके लिए जी-जान से जुट जाती हूं, वरना आप जानते हैं कि न कहीं दिखती हूं और न मेरे बारे में कुछ सुना जाता है. मैं चाहती हूं कि मेरा काम आपसे बात करे, क्योंकि मुझे लगता है कि हर कोई बोल रहा है, लेकिन कोई भी सुन नहीं रहा.'