हैदराबाद : बॉलीवुड की मशहूर एक्ट्रेस आलिया भट्ट स्टारर फिल्म 'गंगूबाई काठियावाड़ी' 25 फरवरी को देशभर के सिनेमाघरों में रिलीज हुई. फिल्म को प्रीमियर पर ही पॉजिटिव रिस्पॉन्स मिल गया था. अब दर्शकों को भी संजय लीला भंसाली की यह फिल्म पसंद आ रही है. संजय लीला भंसाली की फिल्म हो और कोई विवाद ना हो ऐसा मुमकिन नहीं है. फिल्म रिलीज से पहले ही कई लड़ाई लड़कर सिनेमाघरों में पहुंची है और अब रिलीज के बाद भी इसके विरोध में स्वर उठ रहे हैं. फिल्म में कमाठीपुरा इलाके और गंगूबाई के कैरेक्टर को सबसे ज्यादा हाइटलाइट किया गया है. अब तेलुगु लोगों ने फिल्म में कमाठिपुरा का गलत चित्रण करने पर मेकर्स पर उंगली उठाई है और फिल्म पर बैन लगाने की मांग की है.
कमाठीपुरा का 200 साल पुराना इतिहास
लगभग 200 साल पहले, तेलंगाना (पूर्व में आंध्र प्रदेश) में भीषण सूखे के कारण कई लोगों की आजीविका चली गई थी और ऐसे में रोजी-रोटी पर बात आ गई थी. उस वक्त कई लोग अपना घर छोड़ कमाने के लिए महाराष्ट्र रवाना हो गए. इन्होंने मुंबई के ग्रैंड रोड एरिया में शरण ली. ये लोग इधर से उधर काम की तलाश में भटकते रहे. कुछ साल पहले ही इस जगह को कमाठीपुरा नाम दिया गया था. बता दें, पहले इस एरिया की 7 से 8 गलियों में ही कोठे थे, लेकिन अब तो 2-3 तीन गलियों में ही ये बचे हैं. ऐसे में अब कमाठीपुरा का ज्यादातर एरिया आमजन से भरा हुआ है. अब इस जगह की नई पहचान है. कई डॉक्टर, इंजीनियर, बड़े पदों पर कार्यरत अधिकारी इस हिस्से से मुंबई आते हैं.
ऐसे पड़ा था कमाठीपुरा का नाम
बता दें, कमाठीपुरा का नाम यहां आकर काम करने वाले तेलुगु कामगारों के नाम पर पड़ा था. इस पर अखिल पद्मशाली समाज के मुंबई अध्यक्ष बालनसराय डोनाटुला का कहना है, 'हम पलायन कर यहां आए थे. हमने कंस्ट्रक्शन साइट्स पर काम करना शुरू किया. हमारा समुदाय बहुत ही मेहनती था. उस समय मजदूरों को कामती कहा जाता था. कामती का अर्थ है कामकाजी लोग. बाद में इन लोगों के क्षेत्र का नाम कमाठीपुरा पड़ा.
'मुंबई को संवारने में कमाठीपुरा का हाथ'
बालनसराय डोनाटुला ने आगे बताया, 'हमारे तेलुगु समुदाय ने मुंबई को आकार देने में बड़ी भूमिका निभाई है. पूर्व वीटी स्टेशन अब छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनल स्टेशन है. वहां काम करने वाले सभी मजदूर तेलुगु भाषी मजदूर थे. इसके बगल में बृहन्मुंबई नगर निगम भवन है. इस इमारत के निर्माण में तेलुगु भाषी मजदूर भी शामिल थे. हमारे तेलुगु भाइयों ने मुंबई की वास्तुकला में एक अहम भूमिका निभाई है'.