मुंबई : आज दिवंगत निर्माता निर्देशक यश चोपड़ा का जन्मदिन है. ऐसे में इस खास मौके पर पर यशराज फिल्म्स के मुखिया आदित्य चोपड़ा ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर एक पत्र साझा किया है.
जिसमें उन्होंने लिखा है कि प्रोडक्शन हाउस ने अस्तित्व के 50 साल पूरे किए हैं.
अपने पत्र में, आदित्य चोपड़ा ने घोषणा की कि उनकी विशेष योजनाएं क्या हैं, क्योंकि कंपनी 50 साल पूरे कर रही है. उन्होंने यशराज फिल्म प्रोडक्शन से जुड़े हर व्यक्ति का शुक्रिया अदा किया.
अपने पत्र में उन्होंने लिखा, '1970 में, मेरे पिता यश चोपड़ा ने अपने भाई श्री. बीआर चोपड़ा की छत्र-छाया की सुरक्षा को त्याग कर अपनी खुद की कंपनी बनाई. उस समय तक, वह बीआर फिल्म्स के केवल एक मुलाजिम थे और उनके पास अपना कोई सरमाया नहीं थी. वह नहीं जानते थे कि एक कारोबार कैसे चलाया जाता है. उन्हें इस बात की भी खबर नहीं थी कि एक कंपनी चलाने के लिए किन चीजों की जरूरत पड़ती है. उस समय यदि उनके पास कुछ था, तो अपनी प्रतिभा और कड़ी मेहनत पर दृढ़ विश्वास और आत्म-निर्भर बनने का एक ख्वाब.'
अपने पत्र में उन्होंने आगे लिखा, 'एक रचनात्मक व्यक्ति के उसी संकल्प ने यश राज फिल्स को जन्म दिया. राजकमल स्टूडियो के मालिक श्री वी. शांताराम ने उन्हें उनके दफ्तर के लिए अपने स्टूडियो में एक छोटा सा कमरा दे दिया. तब मेरे पिताजी को यह नहीं मालूम था कि उस छोटे से कमरे में शुरू की गई वह छोटी सी कंपनी एक दिन भारतीय फिल्म इंडस्ट्री की सबसे बड़ी फिल्म कंपनी बन जाएगी. 1995 में, जब यश राज फिल्म्स ने अपने 25वें वर्ष में कदम रखा, तो मेरी पहली फिल्म 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' रिलीज हुई. उस फिल्म की ऐतिहासिक सफलता ने मेरे अंदर वह आत्म-विश्वास जगाया कि मैं जुनून से भरे अपने उन आइडियाज को परवाज दूं जो मैंने यश राज फिल्म्स के भविष्य के लिए सोच रखे थे.'
आदित्य चोपड़ा अपने पत्र में आगे लिखते हैं, 'मेरे प्रति मेरे पिता के असीम प्यार के अलावा, मेरी फिल्म की चमत्कारिक सफलता के कारण अब उन्हें मेरे विचारों पर भी बहुत विश्वास था. मैंने अंतर्राष्ट्रीय कॉर्पोरेट स्टूडियोज के भारत आने और हमारे कारोबार पर कब्जा जमा लेने की बात को पहले ही भांप लिया था. मैं चाहता था कि हम उनके आने से पहले ही एक ऐसा निश्चित स्केल प्राप्त कर लें जिसकी सहायता से अपनी स्वतंत्रता को कायम रखा जा सके. मेरे पिता ने अपनी पारंपरिक मानसिकता के विपरीत बड़ी बहादुरी से मेरी सभी साहसिक पहलों की सराहना की और 10 वर्ष की एक छोटी अवधि में, हम एक फिल्म प्रोडक्शन हाउस से भारत के पहले पूरी तरह से एकीकृत स्वतंत्र फिल्म स्टूडियो बन गए.'
उन्होंने आगे लिखा, 'पिछले पांच दशकों के दौरान, यश राज फिल्म्स मूल रूप से एक ऐसी कंपनी रही है जिसकी जड़ें पारंपरिक मूल्यों में नीहित हैं और उसका व्यापारिक दृष्टिकोण शुद्धतावादी है. लेकिन इसके साथ ही यह भविष्य की ओर देखने वाली एक ऐसी कंपनी भी है, जो वर्तमान समय की प्रचलित टेक्नोलोजी और इनोवेशन को अपनाने के लिए लगातार प्रयास करती रहती है. परंपरा और आधुनिकता का यह सही संतुलन यश राज फिल्म्स को सही मायनों में परिभाषित करता है. आज, यश राज फिल्म्स 50वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है. इसलिए, इस नोट को लिखते समय, मैं यह जानने का प्रयास कर रहा हूं कि आखिर इन 50 वर्षों की कामयाबी का राज क्या है? क्या यह यश चोपड़ा की रचनात्मक प्रतिभा है? क्या यह उनके 25 साल के जिद्दी बेटे का साहसिक विजन है? या ऐसा बस क़िस्मत से हो गया है? इनमें से कोई भी कारण नहीं है, इस कामयाबी का कारण हैं... लोग, वो लोग जिन्होंने पिछले 50 वर्षों में यश राज फिल्म्स की हर फिल्म में काम किया.'
आदित्य चोपड़ा ने आगे लिखा, 'मेरे पिताजी एक शायर की कुछ पंक्तियों से अपने सफर का वर्णन किया करते थे- 'मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंजिल मगर... लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया'. मुझे इस बात को पूरी तरह समझने में 25 साल लग गए. यश राज फिल्म्स 50 लोगों का राज हैं... वो कलाकार जिन्होंने अपनी रूह निचोड़ कर किरदारों में जान डाली. वो डायरेक्टर्स जिन्होंने अपनी फिल्मों को परफेक्शन दी. वो लेखक जिन्होंने यादगार कहानियां लिखीं. वो संगीतकार और गीतकार जिन्होंने हमें ऐसे गीत दिए जो हमारे जीवन का हिस्सा बन गए. वो सिनेमेटोग्राफर्स और प्रोडक्शन डिजाइनर्स जिन्होंने हमारे दिमागों पर कभी न मिटने वाले दृश्य छोड़े. वो कॉस्ट्यूम डिजाइनर्स, मेक-अप और हेयर स्टाइलिस्ट्स जिन्होंने साधारण दिखने वालों को भी हसीन बना दिया. वो कोरियोग्राफर्स, जिन्होनें हमें ऐसे डांस स्टेप्स दिए जो हमारे सभी समारोहों का हिस्सा हैं. वो स्पॉट-ब्वायज, लाइटमैन, सेटिंग वर्कर्स, ड्रेसमेन, जुनियर आर्टिस्ट, स्टंटमेन, डांसर्स और क्रू का हर सदस्य जिसने हमारी सभी फिल्मों के लिए अपना खून और पसीना बहाया. वो सीनियर एक्जेक्टिब्ज और यश राज फिल्म्स के वो सभी कर्मचारी जिन्होंने किसी व्यक्तिगत नामवरी या शौहरत की ख्वाहिश के बिना मेहनत की और अंत में, दर्शक, जिन्होंने हमारी फिल्मों को अपना प्यार और विश्वास दिया.'
अपनी नोट के आखिरी में आदित्य ने लिखा, 'ये लोग हमारी 50 साल की सफलता का राज हैं. मैं यश राज फिल्म्स के हर कलाकार, वर्कर, कर्मचारी और दर्शक के प्रति अपना आभार व्यक्त करता हूं. मैं ये 50 वर्ष आप सभी को समर्पित करता हूं. आप हैं, तो यश राज फिल्म्स है. लेकिन इन कलाकारों और वर्कर्स ने केवल यश राज फिल्म्स को ही नहीं, ब्लकि पूरी भारतीय फिल्म इंडस्ट्री को बनाया है. यह केवल यश राज फिल्म्स की नहीं, बल्कि पूरी भारतीय फिल्म इंडस्ट्री की सफलता है, जिसने अपनी मेहनत से सफल होने का ख्वाब देखने वाले एक व्यक्ति को दुनिया का एक आत्म-निर्भर और सही अर्थों में स्वतंत्र स्टूडियो बनाने का प्लेटफॉर्म दिया. यह एक ऐसी इंडस्ट्री है जो हर कलाकार और वर्कर को अपने और अपने परिवार का जीवन संवारने का समान अवसर देती है. कलाकारों, वर्कर्स और कर्मचारियों के अपने संपूर्ण यश राज फिल्म्स परिवार की ओर से, यश राज फिल्म्स को इस महान विरासत का हिस्सा बनने का अवसर प्रदान करने के लिए, मैं भारतीय फिल्म इंडस्ट्री का शुक्रिया अदा करता हूं. यह वह इंडस्ट्री है जहां मेरी मुलाकात शानदार, प्रतिभाशाली और खूबसूरत लोगों से हुई. यह वह इंडस्ट्री है जिसका मैं हर जन्म में हिस्सा बनना चाहूंगा... चाहे किसी भी रूप में बनूं, आदित्य चोपड़ा 27 सितंबर, 2020.'
सोशल मीडिया पर यह पोस्ट काफी तेजी से वायरल हो रहा है.
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हिंदी सिनेमा के दिग्गज निर्माता-निर्देशक यश चोपड़ा ने बॉलीवुड को कई सदाबहार फिल्में दी हैं. यश चोपड़ा की फिल्मों को हिंदी सिनेमा में खास योगदार के तौर पर देखा जाता रहा है. यश चोपड़ा के जन्मदिन के साथ ही आज यश राज फिल्म्स ने भी 50 साल पूरे कर लिए हैं.