हैदराबाद : 70 के दशक में हिंदी सिनेमा को ऋषि कपूर के रूप में रोमांटिक हीरो की सौगात मिली. ऐसा हीरो जो बड़े पर्दे पर हिरोइन को गुंडो से बचा कर नहीं बल्कि अपने चार्म से दिवाना बना देता था. बतौर अभिनेता अपनी पहली फिल्म बॉबी के गाने 'मैं शायर तो नहीं' से देश की लाखों लड़कियों के दिलों पर राज करने वाले ऋषि कपूर उस दौर के ऐसे अभिनेता थे जिन्होंने 40 की उम्र के बाद भी रोमांटिक किरदार निभाए वो भी बिना एब्स बनाए.
ऋषि कपूर के पांच दशक के लंबे करियर में उन पर कई आइकॉनिक गाने फिल्माए गए , जो आने वाले कई दशकों तक सदाबहार रहने वाले हैं. अभिनेता के पहली पुण्यतिथि पर दुखी मन से नहीं बल्कि मुस्कुरा कर उनके कुछ आइकॉनिक गानों पर नजर डालते हैं.
मैं शायर तो नहीं (बॉबी -1973)
आनंद बख्शी के बोल, 'मैं शायर तो नहीं... मगर ऐ हसी जब से देखा मैंने तुझको मुझको शायरी आ गई...' के साथ ऋषि के अंदाज ने इस गाने में ऐसा जादू पिरोया कि 70 के दशक युवा ने इस गाने पर जरूर वाईब किया होगा. बल्कि आज के दौर में कोई अपनी महबूबा के सामने इजहार-ए-मोहब्बत के लिए यह गाना गाए तो काम जरूर बन जाए.
पर्दा है पर्दा (अमर अकबर एंथनी - 1977)
मनमोहन देसाई की फिल्म अमर अकबर एंथनी का जिक्र हो और अकबर इल्हाबदी (ऋषि कपूर) की कव्वाली न याद आए, ऐसा तो मुमकीन नहीं है. ऋषि कपूर और नीतू की केमिस्ट्री ने इस गाने को यादगार बना दिया.
चांदनी ओ मेरी चांदनी (चांदनी -1989)
फिल्म चांदनी ने बॉक्स ऑफिस के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए थे. फिल्म की सफलता में फिल्म के गानों का बहुत बड़ा योगदान था. फिल्म के सभी गाने एक से बढ़ कर एक थे, लेकिन चांदनी ओ मेरी चांदनी गाने में ऋषि और श्रीदेवी ने रोमांस का ऐसा जादू बिखेरा था कि बॉलीवुड आज भी बर्फ से ढके पहाड़ों के बीच शिफॉन साड़ी में हिरोइन और उसके साथ ट्रेंडी स्वेटर पहना हुए हीरो का कॉन्सेप्ट दोहराता रहता है.
चेहरा है या चांद खिला (सागर -1985)
'सागर जैसी आंखो वाली ये तो बता तेरा नाम है क्या' - जी हां अगर आपको कभी पहली नजर में प्यार हुआ है तो यह गाना बिलकुल आप पर फिट बैठता है. किशोर कुमार की आवाज, आरडी बर्मन का संगीत और फिर ऋषि और डिंपल के बीच की केमिस्ट्री ने इस गाने पर चार चांद लगा दिए.