मुंबई: 'शिकारा' के निर्माताओं ने फिल्म का दूसरा ट्रेलर रिलीज कर दिया है, जो 1989 की उन खतरनाक परिस्थितियों को दर्शाता है, जब कश्मीरी पंडित को कश्मीर छोड़ना पड़ा था.
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विधु विनोद चोपड़ा फिल्म्स ने एक ट्वीट में फ्लिक का दूसरा ट्रेलर साझा किया, जिसमें उन्होंने लिखा, 'ऐ वादी शहजादी, बोलो कैसी हो, कुछ बरसों से टूट गया हूं, खंडित हूं, वादी तेरा बेटा हूं मैं पंडित हूं.'
फिल्म का यह दूसरा ट्रेलर देखकर निश्चित रूप से आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे. फिल्म को फिल्म निर्माता विधु विनोद चोपड़ा इस साल 7 फरवरी को दर्शकों के सामने पेश करने के लिए तैयार हैं.
ट्रेलर के पहले फ्रेम में ही वास्तविकता को सामने रखा गया है. जहां एक 'फरमान' के साथ कश्मीरी पंडितों को भूमि छोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है. प्रमुख अभिनेता आदिल खान और सादिया की सुकून भरी जिंदगी में हिंसा के दृश्य के साथ, दूसरे ट्रेलर में कश्मीरी पंडितों की अनकही कहानी को सामने पेश किया गया है.
पहले ट्रेलर के रिलीज के बाद से ही, फिल्म के विषय और कहानी के साथ जिज्ञासा अपने चरम पर है. 'शिकारा' में 1990 की घाटी से कश्मीरी पंडितों की अनकही कहानी को उजागर किया गया है. जिसे जगती और अन्य शिविरों के 40,000 असली प्रवासियों के साथ शूट किया गया है. यही नहीं, फिल्म में माइग्रेशन की वास्तविक फुटेज भी शामिल की गई है.
ऐतिहासिक प्रासंगिकता को दर्शाने वाले दिन की 30वीं वर्षगांठ पर, फिल्म के निर्माताओं ने 19 जनवरी को नई दिल्ली में वास्तविक कश्मीरी पंडित शरणार्थियों के लिए फिल्म की एक विशेष स्क्रीनिंग का आयोजन किया था जिन्हें 1990 में बड़े पैमाने पर पलायन के दौरान अपने घरों को छोड़ना पड़ा था.
'शिकारा' के निर्माता, विधु विनोद चोपड़ा और राहुल पंडित प्रतिष्ठित जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2020 में शामिल हुए और इस कार्यक्रम में एक विशेष पैनल चर्चा का हिस्सा बने थे. इस दौरान, पैनल के सदस्य वहां उपस्थित दर्शकों के साथ भी बातचीत करते नजर आये.
यह फिल्म इसलिए भी खास है, जहां चार हजार असली कश्मीरी पंडितों ने 1990 की कश्मीरी घाटी के विघटन को रीक्रिएट करने के लिए फिल्म की शूटिंग की है. वास्तविक लोगों से वास्तविक कहानियों तक, 'शिकारा' में सब कुछ वास्तविकता के बहुत करीब रखा गया है.
इनपुट-एएनआई