मुंबईः एक्टर कंगना रनौत जो लगातार इंडस्ट्री में परिवारवाद के खिलाफ आवाज उठाती रहीं हैं, उन्होंने कहा है जब तक कि उनकी नीयत सही है उन्हें किसी बात का अफसोस नहीं है.
रचनात्मक आलोचना में कोई बुराई नहीं- कंगना रनौत
अभिनेत्री कंगना रनौत जो कि अक्सर विवादों में घिरी रहती हैं और आलोचना का शिकार होती रहीं हैं, उन्होंने कहा है कि फिल्म क्रिटिक्स से काम को लेकर मिलने वाली आलोचना को वह स्वीकार करती हैं जबकि सामाजिक कार्यों के लिए उड़ाए गए मजाक को वह बिल्कुल सहन नहीं करेंगी.
कंगना ने बताया, "मैं जब भी किसी चीज के खिलाफ आवाज उठाती हूं तो पहले खुद की नीयत को परख लेती हूं. क्योंकि जब मैं परिवारवाद, यौण सोशण या ऐसी किसी भी चीज के खिलाफ आवाज उठाती हूं तो नाम लेती हूं, चीजें हमेशा मेरे करियर के खिलाफ गईं हैं. कोई कैसे इन मुद्दों से इग्नोर कर सकता है. आलोचना मुझे कभी कड़वा नहीं बनाती."
2017 में कंगना कंट्रोवर्सी में फंस गईं थीं जब उन्होंने फिल्ममेकर करण जौहर को परिवारवाद का झंडा ऊंचा करने वाला कह दिया था.
आगे अभिनेत्री ने कहा, "आज लोग खुलकर नेपोटिज्म के बारे में बात करते हैं. इस बारे में लोगों के साफ मत हैं. लेकिन क्या किसी ने इसके बारे में पहले बात की? मेरे लिए, जो मायने रखता है वो बड़ा गोल है. जो चीजें सालों से इग्नोर हुईँ हैं अब लोग उनके बारे में दोबारा सोचते हैं."
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अभिनेत्री को 'जजमेंटल है क्या' के प्रमोशनल इवेंट में पत्रकार से छिड़ी बहस के चक्कर में जब मीडिया के एक सेक्शन से भारी क्रिटिसिज्म झेलना पड़ा था, तब कंगना ने पॉइंट आउट किया था कि मीडिया भी उन्हें बहुत सारा काम करने की प्रेरणा देता है. कंगना ने आगे जोड़ते हुए कहा कि उन्होंने कभी भी अपने एक्शन्स के लिए क्रिटिसिज्म लिया ही नहीं.
अभिनेत्री ने कहा, "बतौर अभिनेत्री, मैं रचनात्मक आलोचना के लिए तैयार हूं क्योंकि यह मेरे काम का हिस्सा है. मेरे पास किसी के खिलाफ कुछ भी नहीं है. लेकिन कुछ काम है जो मैं समाज के लिए करती हूं, जैसे कि प्रकृति के प्रति जागरूकता पैदा करना, पेड़ लगाना, नदियों के बारे में बात करना और नो टू प्लास्टिक. अगर कोई इन कोशिशों का मजाक उड़ाएगा, तो मैं सहन नहीं करूंगी."
अभिनेत्री ने हाल ही में अपनी कमाई का कुछ हिस्सा ईशा फाउंडेशन को कावेरी कॉलिंग कैम्पेन के लिए दान दिए हैं. कैंपेन में कावेरी बेसिन पर एक लाख पेड़ लगाने की 12 साल की मेहनत है.