हैदराबाद : हालिया स्मृति में कभी ऐसा दौर नहीं आया जब कुछ महीनों के अंतराल में भारत ने संगीत चमत्कार और सिनेमाई प्रतीकों की लगातार मौतें देखी हों. एस.पी. बालासुब्रमण्यम भी चाहने वालों को गहरा सदमा दे इस सूची में शामिल हो गए हैं.
कोविड 19 का पता चलने के बाद बालासुब्रमण्यम को अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन बाद में उनकी स्थिति बेहद गंभीर हो गई, हालांकि उन्होंने कोरोना वायरस की जंग तो जीत ली. लेकिन आज वह जिंदगी से हार गए.
1946 में जन्में, बालासुब्रमण्यम ने मुख्य रूप से तेलुगू, तमिल, कन्नड़, हिंदी और मलयालम उद्योग में काम किया था. सिंगर ने 16 भारतीय भाषाओं में 40,000 से अधिक गाने गाए, जिसने उन्हें सबसे अधिक गाने के लिए गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में स्थान दिलाया.
51 साल के लंबे करियर में, बालासुब्रमण्यम ने कन्नड़, तेलुगू, तमिल और हिंदी सहित चार अलग-अलग भाषाओं में छह राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीते. उन्होंने कर्नाटक और तमिलनाडु के कई अन्य राज्य पुरस्कारों के अलावा, तेलुगू सिनेमा में काम करने के लिए 25 आंध्र प्रदेश राज्य नंदी पुरस्कार भी हासिल किए थे.
इसके अलावा, गायक ने बॉलीवुड फिल्मफेयर अवार्ड और छह फिल्मफेयर अवॉर्ड्स साउथ भी हासिल किए. कहने की जरूरत नहीं है, उन्होंने एक सम्मान और नागरिक पुरस्कारों की एक श्रृंखला जीतने का गौरव हासिल किया.
पद्म श्री (2001) और पद्म भूषण (2011) से सम्मानित, बालासुब्रमण्यम को 2016 में सिल्वर पिकॉक मेडल और इंडियन फिल्म पर्सनैलिटी ऑफ द ईयर से भी सम्मानित किया गया. भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए 2012 में उन्हें एनटीआर राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया.
बालू के नाम से भी पहचाने जाने वाले बालासुब्रमण्यम की कम उम्र से ही संगीत के प्रति काफी रुचि थी. हालांकि, इंजीनियर बनने के इरादे से, उन्होंने JNTU कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग अनंतपुर में दाखिला ले लिया. अपने इंजीनियरिंग के दिनों में, बालू ने संगीत को जारी रखा और गायन प्रतियोगिताओं में कई पुरस्कार जीते.
यह म्यूजिक कंपोजर एस.पी. कोदंडापानी थे, जिन्होंने टैलेंट हंट के दौरान बालू को देखा और युवा प्रतियोगी में एक हुनर को पहचाना. बालासुब्रमण्यम के करियर की शुरुआत 1966 में हुई, जब कोदंडापानी की फिल्म श्री श्री मरियाडा रमन्ना में गाने के लिए ताज़ातरीन प्रतिभा को मौका दिया गया.